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पशुपालन से छोटे किसान बन रहे सशक्त, खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान: डॉ.अभिजीत मित्रा

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सेमिनार में बोलते डॉ.अभिजीत मित्रा

नई दिल्ली. आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के 20वें दीक्षांत समारोह के चल रहे शैक्षणिक पखवाड़े के जश्न के हिस्से के रूप में डॉ. डी. सुंदरेसन सभागार में डॉ. केके अइया की स्मृति में व्यख्यान का आयोजन किया गया. विशेषज्ञों ने बताया कि 2014-15 से 2021-22 तक 13.36% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ, पशुधन क्षेत्र एक आधारशिला के रूप में उभरा है, जो सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) और कुल कृषि जीवीए में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. डॉक्टर मित्रा ने ग्रामीण समुदायों, विशेषकर छोटी जोत वाले समुदायों को सशक्त बनाने में पशुधन क्षेत्र के महत्व और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में इसके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया.

कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक और कुलपति डॉक्टर धीर सिंह ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए भारत सरकार पशुपालन आयुक्त डॉ. अभिजीत मित्रा का स्वागत किया. डॉ.धीर सिंह ने बताया कि डॉ. मित्रा, संस्थान के पूर्व छात्र और पशुपालन एवं आनुवंशिक अनुसंधान के क्षेत्र के प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं. वह दो आईसीएआर संस्थानों के निदेशक रह चुके हैं. यह पुरस्कार उन्हें पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन, आणविक आनुवंशिकी, जीनोमिक्स के साथ-साथ ट्रांसजेनेसिस में सराहनीय कार्य करने के लिए दिया जा रहा है.

छोटी जोत वाले किसानों को सशक्त बनाने में पशुधन की अहम भूमिका
डॉ. अभिजीत मित्रा ने “नेविगेटिंग सस्टेनेबल लाइवस्टॉक सिस्टम: इंडियन स्मॉल होल्डर्स इन ए ग्लोबल कॉन्टेक्स्ट” विषय पर व्याख्यान दिया. डॉक्टर मित्रा के ने भारत के पशुधन क्षेत्र के उल्लेखनीय परिवर्तन पर प्रकाश डाला और देश की अर्थव्यवस्था में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. डॉक्टर मित्रा ने बताया कि 2014-15 से 2021-22 तक 13.36% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ, पशुधन क्षेत्र एक आधारशिला के रूप में उभरा है, जो सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) और कुल कृषि जीवीए में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. डॉक्टर मित्रा ने ग्रामीण समुदायों, विशेषकर छोटी जोत वाले समुदायों को सशक्त बनाने में पशुधन क्षेत्र के महत्व और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में इसके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया.

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बीमारी की चपेट में आ रहे पशु
भारत की पशुधन प्रणालियों में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर मित्रा ने महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण पर जोर दिया, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के भी अनुरूप है. अग्रणी दुग्ध उत्पादक के रूप में भारत की वैश्विक प्रसिद्धि वैश्विक मंच पर इस क्षेत्र के महत्व को और भी बढ़ा देती है. पशुपालन में उपलब्धियों के बावजूद डॉक्टर मित्रा ने स्वीकार किया कि पशुधन क्षेत्र के सामने अभी कई चुनौतियां हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, बीमारी की चपेट में आने से पशुओ का नुकसान और सीमित संसाधनों और बाज़ार तक पहुंच शामिल हैं.

किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना जरूरी
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परंपरा में निहित और आधुनिक चुनौतियों के अनुकूल स्थायी लघुधारक प्रणालियों की ओर परिवर्तन की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने आगे कहा कि भारत की छोटी धारक पशुधन प्रणालियाँ, अतिरिक्त आय सृजन, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और रोजगार के अवसर जैसी कई ताकतें प्रदान करती हैं. उन्होंने छोटे किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए इ-हेल्प, पशुसखी और राष्ट्रीय पशुधन मिशन जैसी सरकारी पहलों के महत्व पर जोर दिया.

डॉ. आशीष कुमार सिंह संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) ने बताया की हर साल एनडीआरआई डॉ. के.के. अइया पुरस्कार अपने पूर्व निदेशक डॉ. केके अइया की स्मृति में प्रदान करती है. इस पुरस्कार में एक स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र, स्क्रॉल और एक सम्मान राशि शामिल है. इस अवसर पर संस्थान के 900 से अधिक वैज्ञानिक, कर्मचारी और छात्र समारोह में शामिल हुए.

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