नई दिल्ली. पोल्ट्री में एक तरफ किसानों की अच्छी कमाई होती है, वहीं दूसरी तरफ मुर्गी या मुर्गे बहुत सेंसिटिव पक्षी होते हैं. इन्हें बीमारियों से बचना बहुत जरूरी होता है. आमतौर पर देखा गया है कि कभी-कभी ऐसी बीमारी आती है कि पूरा पोल्ट्री फार्म इसका शिकार हो जाता है. किसी भी रोग से पहले उसकी पहचान करना जरूरी होता है. एक हेल्थी मुर्गी की सबसे पहले पहचान करना बहुत जरूरी होता है, अगर आपके मुर्गी फार्म में मुर्गियां तेजी से बढ़ रही हैं, उनमें फुर्तीलापन है और हाथों से पकड़ने में वह संघर्ष करती हैं, साफ सुथरी चमकदार स्किन, अच्छे पंख और बराबर दाना खाती हैं और पानी पीती हैं, तो वे स्वस्थ्य हैं.
वहीं दूसरी ओर बीमार मुर्गी भोजन कम कर देती है, सुस्त हो जाती है, उदास रहती है. उसे सांस लेने में दिक्कत होती है. शरीर का तापमान कम या अधिक होता है उसका पेट भी फूल जाता है, आहार बंद करती है और पानी ज्यादा पीती है. हरे या पीले रंग की बीट पटली बीट करती है तो ये उसकी बीमारी के मुख्य लक्षण हैं.
बर्ड फ्लू तेजी से फैलता है: कई बार बर्ड फ्लू से पक्षी संक्रमित हो जाते हैं. इन्फ्लूएंजा ए वायरस पक्षियों में बहुत तेजी से फैलता है. इसके संक्रमण से पक्षियों की 100 प्रतिशत तक की मृत्यु दर रहती है. यह रोग मुर्गी का टर्की में होता है. बटख, वॉटरफॉल वाले प्रवासी पक्षियों में इन्फ्लूएंजा वायरस का संक्रमण होने से ये रोग तेजी से फैलता है. आईए जानते हैं कि यह रोग कैसे फैलता है उसके लक्षण क्या हैं और अपने फार्म में इसको किस तरीके से फैलने से बचा सकते हैं.
यह कैसे फैलता है: सबसे पहले यह जानते हैं कि इस रोग के वायरस पक्षी की लार, नाक आंख के स्राव व बीट में पाए जाते हैं. संक्रमित पक्षी के सीधे संपर्क से या संक्रमित बीट वाले के संपर्क में आए व्यक्ति के खाने, उपकरण आदि से भी ये रोग फैल जाता है. इस रोग के इंफेक्शन पर 3 से 5 दिन में लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
रोग के लक्षण: अचानक अधिक संख्या में पक्षियों की मृत्यु होना शुरू हो जाती है. पक्षी खाना व पीना बंद कर देते हैं. अंडा उत्पादन में कमी हो जाती है. पक्षी को तेज जुकाम हो जाता है. उसके सिर में गर्दन में सूजन आ जाती है, कलंगी लटक जाती है. बर्ड फ्लू का कोई उपचार नहीं है इसलिए बचाव ही सबसे अच्छा उपचार है.
बर्ड फ्लू होने की संभावना की स्थिति में क्या करें: पोल्ट्री फार्म में पक्षियों की रोग की जांच के लिए पशु चिकित्सक को सैंपल भेजें. जांच रिपोर्ट आने तक फॉर्म में किसी भी व्यक्ति या वाहन को एंट्री ना दें. बीमारी की संभावना होने पर पक्षियों को क्वॉरेंटाइन करें. फार्म से बर्ड, अंडे किसी भी चीज को न बेचें. अपने फार्म में मास्क, डिस्पोजल कपड़े, ग्लव्स पहन कर जाएं और बाहर निकलते ही उन्हें हटा दें.
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