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सरकार मछली पालकों की मदद के लिए आई आगे, 6 हजार करोड़ का है बजट

नई दिल्ली. मछली पालकों की मदद के मकसद से सरकार सबवेंशन स्कीम लेकर आ रही है. जो उनके लिए किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बजट 2023 में केन्द्र सरकार ने मछली पालकों को बड़ी राहत देने का एलान किया है. दरअसल, पीएम मत्य् संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 6 हजार करोड़ रुपये से कई सुविधाएं मछली पालकों को दी जाएंगी. इस बात की घोषणा बजट पेश करने के वक्त केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी. जबकि पहले से ही मछली पालकों के जीवन स्त्र को उठाने और आय बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार पहले से ही पीएम मत्य्ली संपदा स्कीम संचालित की जा रही है.

बता दें कि मछली कारोबार और उससे बने प्रोडक्ट को बढ़ावा देने संबंधी योजनाओं पर काम किए जाने की योजना है. जिसके तहत फ्रोजन मछली बिक्री को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा. एक प्रोग्राम में फ्रोजन फिश सप्लाई के तीन बड़े कारोबारी फाल्कन मरीन, फ्रेश टू होम और अमलगम ग्रुप के चर्चा की गई थी. साल 2022-23 के लिए समुद्री खाद्य निर्यात का लक्ष्य 8,868 मिलियन अमेरिकी डॉलर निर्धारित किया गया है ये आंकड़ा समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) का है. ये पूरा हो सके इसके लिए झींगा मछली निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए खारे पानी की जलीय कृषि के तहत क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राज्यवार लक्ष्य तय किए गए हैं. बता दें कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बड़े पैमाने पर खासतौर पर झींगा पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है.

भारत सरकार गुणवत्ता झींगा उत्पादन, प्रजाति विविधीकरण, निर्यात होने वाली प्रजातियों को बढ़ावा देने, ब्रांडिंग, मानकों और प्रमाणन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए पीएम मत्य्तहत संपदा योजना के तहत मत्स्य पालन विभाग ये सुविधाएं दे रही है. बता दें कि देश में फिश प्रोसेसिंग यूनिट, रेडी टू ईट और रेडी टू कुक मछली को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस योजना से मछली पालक उम्मेद सिंह को फ्रोजन फिश को रफ्तार मिलने की उम्मीद है. उनका मानना है कि ऐसा करने से यह कारोबार आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि आम आदमी फ्रोजन फिश के बजाय ताजा मछली को ही पसंद करता है. इसके लिए उसे चार से छह दिन तक इंतजार भी गवारा है.

केन्द्रीय मछली विभाग ने पहले ही कहा है कि यदि फ्रोजन फिश को बढ़ावा देना है तो घरेलू मछली सप्ला्ई में भी एक्सपोर्ट क्वालिटी को लागू करना पड़ेगा. ये भी कहा गया है कि फ्रोजन मछली की तरफ लोगों रुझान बढ़े इसके लिए एक्सपोर्ट क्वालिटी वाले नियम घरेलू मछली सप्लाई में लाए जाएं. साथ ही देश में मौजूदा सप्लाई चेन का भी इस्तेमाल हो.

मछली करोबार एक नजर में

साल 2010-11 में प्रोडक्शन- 84 लाख मीट्रिक टन
साल 2021-22 में प्रोडक्शन- 1.61 करोड़ टन

साल 2019-20 में-

मरीन फिश प्रोडक्शन- 37.27 लाख मीट्रिक टन
इनलैंड फिश प्रोडक्शन- 1.4 करोड़ मीट्रिक टन.

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