नई दिल्ली. पशुओं को स्लाटर हाउस में लाने से पहले, लाने के बाद, वहां काटने के दौरान के कई नियम हैं. जिनका पालन होना चाहिए. ताकि मीट का सेवन करने वालों तक साफ सुथरा मीट पहुंच सके. एक्सपर्ट का कहना है कि सबसे पहले पशुओं को रोग मुक्त क्षेत्र से लाया जाता है जो प्लांट के आस-पास लगभग 100 किलोमीटर की परिधि में होता है. जहां सभी रोग नियंत्रण कार्यक्रम लागू होते हैं और राज्य सरकार के पशु चिकित्सा विभाग द्वारा उनकी निगरानी की जाती है. पशुओं को बूचड़खाने द्वारा स्थानीय पशुधन बाजारों से खरीदा जाता है, जिस क्षेत्र से उन्हें लाया जाता है, वहां से व्यक्तिगत पहचान के साथ और बाजार में प्रवेश करते समय रजिस्टर किया जाता है.
पशुओं का परिवहन पशु क्रूरता निवारण और पर्यावरण एवं वानिकी मंत्रालय द्वारा 2009 में जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक होता है. जिसका मतलब है कि परिवहन के दौरान पशुओं को किसी तरह की दिक्कत न हो पाए. पशु चिकित्सक पशु को पशुधन बाजार से बूचड़खाने तक ले जाने के दौरान यात्रा फिटनेस प्रमाण पत्र (टीएफसी) के रूप में पशु हेल्थ प्रमाण पत्र जारी करता है. प्लांटों में, जिंदा पशुओं वाले ट्रकों को पीछे के क्षेत्र से ट्रक के टायरों को कीटाणुरहित करने के लिए 1% फॉर्मेल्डिहाइड के साथ फुट बाथ से गुजारा जाता है.
डॉक्टर करते हैं जांच
फिर प्लांट में जानवरों को आगे की ओर ले जाया जाता है, जहां जिंदा जानवरों को ब्लैक जोन से गुजारा जाता है और तैयार प्रोडक्ट को पैक करके व्हाइट जोन से भेजा जाता है. जानवरों को अनलोडिंग एरिया में उतारा जाता है और 24 घंटे के लिए आराम करने वाले बाड़ों में रखा जाता है. जहां पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है. यहां, पशु चिकित्सकों द्वारा जीवित जानवरों की कटिंग से पहले जांच की जाती है. फिर जानवरों को लेयरेज और रेस से गुजारा जाता है, जहां उन्हें वध के लिए भेजने से पहले पानी से धोया जाता है. कत्ल के लिए पास किए गए जानवरों को ‘नॉकिंग बॉक्स’ में रखा जाता है, जहां वे वध किए जा रहे जानवरों को नहीं देख सकें.
चिलर के लिए किया जाता है ट्रांसफर
जानवरों को इंपोर्ट करने वाले देश की आवश्यकता के अनुसार हलाल किया जाता है. कत्ल के बाद, जानवरों को पूरी तरह से खून बहने दिया जाता है, उसके बाद पैर काट दिए जाते हैं, खाल उतारी जाती है. शव को दो हिस्सों में बांटते हैं. यहां, पशु चिकित्सक बूचड़खाने में पोस्टमार्टम परीक्षा करते हैं. इंसानों के खाने के लिए उपयुक्त पाए जाने के बाद, शव को धोया जाता है, मुहर लगाई जाती है और चिलर में ट्रांसफर कर दिया जाता है. वहीं इस दौरान चिलर का तापमान 2-4 डिग्री सेल्सियस होता है जहां शव को 24 घंटे तक रखा जाता है. जब मीट का तापमान लगभग डिग्री सेल्सियस हो जाता है और pH 6 से नीचे चला जाता है, तो शव को हड्डियों को हटाने और प्राइम कट्स की तैयारी के लिए 12 से डिग्री सेल्सियस के बीच के कमरे के तापमान वाले डीबोनिंग हॉल में लाया जाता है.
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