नई दिल्ली. इंसानों को जानवरों के जरिए होने वाली बीमारियों से बचाने की कोशिश बहुत पहले से हो रही है. वहीं पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान यूनिवर्सिटी लुधियाना और पंजाब के दयानंद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के वैज्ञानिकों को बूचड़खानों में जूनोटिक रोगजनकों की निगरानी पर ध्यान देने वाली वाली एक प्रतिष्ठित बहु-क्षेत्रीय वन हैल्थ परियोजना बनाने पर सम्मानित किया गया है. बताते चलें कि परियोजना की शुरुआत नई दिल्ली में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हो चुकी थी.
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) के सचिव और ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने इस दौरान कहा कि भारत में इस प्रकार की मॉडल परियोजना की जरूरत है. जहां जूनोटिक रोगों के फैलाव का तेजी से पता लगाने के लिए इंसानों और पशु स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है. भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिस्ट सलाहकार कार्यालय डॉ. सिंदुरा गणपति और ICAR, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. राघवेंद्र भट्टा ने भी अपने विचार रखे.
यूनिवर्सिटी की रिसर्च के बारे में बताया
इस बैठक में पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय के पेशेवरों की एक टीम ने भाग लिया. जिसमें अनुसंधान निदेशक डॉ. जेपीएस गिल, डॉ. जे.एस. बेदी, डॉ. पंकज ढाका और डीएमसी एवं अस्पताल से डॉ. वीनू गुप्ता, डॉ. राजेश महाजन और डॉ. मनीषा अग्रवाल शामिल थे. डॉ. जेपीएस गिल ने वन हैल्थ ढांचे के भीतर क्षेत्रीय और राष्ट्रीय जूनोसिस को संबोधित करने के लिए यूनिवर्सिटी के रिसर्च प्रयासों पर प्रकाश डाला. उन्होंने जोर दिया कि स्वच्छ मांस उत्पादन में फूड सेफ्टी बढ़ाने के मकसद से पंजाब के बूचड़खानों को लाभ होगा और श्रमिक कल्याण में सुधार होगा. डॉ. जसबीर सिंह बेदी और डॉ. वीनू गुप्ता ने पंजाब के लिए परियोजना कार्यान्वयन योजना प्रस्तुत की.
प्रोडक्शन बढ़ाने पर भी है जोर
जिसमें पंजाब में संगठित और असंगठित दोनों बूचड़खानों में निगरानी के लिए अपेक्षित परियोजना की योजना और परिणाम पर प्रकाश डाला गया. वे नियमित वैज्ञानिक वर्कशॉप और क्षमता निर्माण पहलों के माध्यम से बूचड़खाने के कर्मचारियों को मजबूत करने की योजना बना रहे हैं. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने अनुसंधान टीम को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि इस तरह की वैज्ञानिक परियोजनाएं क्षेत्र में मांस सुरक्षा और उत्पादकता को बढ़ाएंगी. डॉ. सिंह ने कहा कि यह सहयोगात्मक प्रयास सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और जूनोटिक रोगों से निपटने में वन हेल्थ दृष्टिकोण को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
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