Home पशुपालन NDVSU: पशुपालकों को रिसर्च-टेक्नोलॉजी के बारे में बताएंगे यूनिवर्सिटी के छात्र और साइंटिस्ट
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NDVSU: पशुपालकों को रिसर्च-टेक्नोलॉजी के बारे में बताएंगे यूनिवर्सिटी के छात्र और साइंटिस्ट

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वर्कशॉप में भाग लेने वाले छात्र और मेहमाान.

नई दिल्ली. नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु जैव प्रौद्योगिकी केंद्र में DST -SERB (Accelerate vigyan ) पोषित 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था. इस वर्कशॉप का टॉपिक टेकनोलॉजिकल एडवांसेज इन वेटरनरी डायग्नोस्टिक्स : लेबोरेटरी टु फील्ड था. जिसमें छात्रों को कई अहम जानकारी दी गई. वहीं छात्रों से ये भी अपील की गई कि वे पशुधन को लेकर हो रही रिसर्च आौर नई टेक्नोलॉजी को किसानों तक पहुंचाएं ताकि पशुपालकों को इसका फायदा हो.

वर्कशॉप की अध्यक्षता नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. सीता प्रसाद तिवारी ने की. कार्यक्रम के शुरू में डॉ. अजित प्रताप सिंह, संचालक , पशु जैव प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा, कुलपति डॉ तिवारी, एवं कुल सचिव डॉ. श्रीकांत जोशी का स्वागत किया गया. इसके बाद डॉ. तृप्ति जैन, सहा प्राध्या, पशु जैव प्रोद्योगिक केंद्र द्वारा दस दिवसीय कार्यशला में हुए समस्त प्राशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी प्रदान की गई.

इन विषयों पर दी गई ट्रेनिंग
उन्होंने बताया कि DNA आइसोलेशन, RNA आइसोलेशन, के आलावा नवीन तकनीकें जैसे LAMP, RTPCR शामिल के बारे में छात्रों को प्रशक्षित किया गया. प्राशिक्षण में विश्वविद्यालय, NIRTH -ICMR एवं CCMB हैदराबाद जैसे राष्ट्रीय संस्थानों के विशिष्ट वैज्ञानिकों के अतिथि व्याख्यान भी हुए. जिनमे प्रशिक्षणार्थियों को भिन्न भिन्न क्षेत्रों में होने वाले नए शोध व तकनीकों की जानकारी मिली. जिसका फायदा छात्रों को उनके कॅरियर में होगा और वो इसे किसानों तक पहुंचाएंगे तो किसानों को और देश को भी लाभ मिलेगा.

फील्ड में जानकारी पहुंचना जरूरी
इसके बाद डॉ. अजित प्रताप सिंह संचालक पजै प्रोद्यो के, ने कार्यशाला का एनालिसिस लेक्चर दिया. कार्यक्रम के अगले भाग में कुलपति डॉ तिवारी एवं अन्य अतिथियों ने समस्त प्रशिक्षणार्थीओं का उत्साहवर्धन करते हुए प्रमाणपत्र प्रदान किये. वहीं डॉ तिवारी ने वैज्ञानिकों एवं छात्रों को उद्बोधन करते हुए विज्ञान को फील्ड तक ले जाने के महत्त्व को रेखांकित किया. उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया की वे शोध व् तकनीकों को फील्ड एवं पशुपालकों तक लेकर जाएं तथा नवीन तकनीकों में प्रशिक्षित्त होकर पशुधन कल्याण के लिए कार्य करें.

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