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Poultry: बर्ड फ्लू वायरस पक्षियों में और इंसानों में कैसे फैलता है, पढ़ें यहां

bird flu
प्रतीकात्मक फोटो:

नई दिल्ली. बर्ड फ्लू जिसे एवियन इन्फ्लुएंजा भी कहा जाता है. यह एक वायरल इंफेक्शन है जो इन्फ्लुएंजा A वायरस द्वारा होता है. इसके स्ट्रेन भी कोरोना की तरह कई तरह के होते हैं, लेकिन (H5N1) बर्ड फ्लू पक्षियों से इंसानों में फैल सकता है.0 यह पक्षियों में फैलता है. एवियन इन्फ्ल्यूएंजा या बर्ड फ्लू चिकन, टर्की, गीस, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तेजी से फैलता है. यह इतना जानलेवा है कि पक्षियों के अलावा इससे इंसानों की भी मौत हो सकती हैं, हालांकि इंसानों को वायरस होने की आशंका कम रहती है.

बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में हॉन्ग कॉन्ग में सामने आया था. वहीं भारत में 2006 इस तरह का पहला मामला रिकॉर्ड किया गया था. इस बीमारी में जो भी व्यक्ति संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आता है उसे मास्क, दस्ताने आदि अनिवार्य रूप से पहनना चाहिए. ताकि इसका प्रसार न हो.

इस बीमारी के पक्षियों में क्या हैं लक्षण
पक्षियों में संक्रमण के दौरान परों का झड़ना, परों का बिखरना, भूख न लगना, सुस्त पड़े रहना, कलगी तथा ललरी का नीला पड़ना, अंडे कम देना, अण्डों में पतलापन, हरे रंग के दस्त, ठीक से खड़े न हो पाना व न चल पाना, नाक से पानी आना तथा सांस लेने में तकलीफ होना आदि प्रमुख लक्षण हैं.

इंसानों में क्या हैं इसके सिम्पटम्स
मनुष्यों में यह रोग संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से फैलता है. इंसानों में रोग के मुख्य लक्षण तेज़ बुखार, आंख नाक से पानी आना, खांसी तथा सांस लेने में दिक्कत होना है. कुछ गंभीर मामलों में मरीज़ की जान तक जा सकती है. खास तौर पर बच्चे तथा बूढ़ों के लिए फ्लू अधिक घातक है.

पोल्ट्री फॉर्मों में तेजी से फैलता है
इन्फ्लुएंजा A वायरस संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने से फैलता है. कई बार यह वायरस पक्षी को बिना नुक्सान पहुंचाये उसके शरीर में पड़ा रहता है, पर पक्षियों के अधिक घनत्व वाले स्थानों में जैसे पोल्ट्री फार्मों में ये गंभीर रूप धारण कर लेता है. यही कारण है कि व्यावसायिक पोल्ट्री फार्मों में यह संक्रमण तेज़ी से फैलता है और बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत होती है.

इंसानों में ऐसे फैलती है ये बीमारी
मनुष्यों में संक्रमण, रोगी पक्षी को हैंडल करने के दौरान फैलता है. कई बार महामारी का रूप ले लेता है. बर्ड फ्लू को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित तथा संक्रमण की आशंका वाले सभी पक्षियों को मारना पड़ता है. इस प्रक्रिया को कल्लिंग (culling) कहते हैं. कल्लिंग के बाद मृत पक्षियों को चूने तथा ब्लीचिंग पाउडर के साथ गाड़ दिया जाता है. जो भी व्यक्ति संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आता हैं उसे मास्क, दस्ताने आदि अनिवार्य रूप से पहनना चाहिए.

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