नई दिल्ली. पशुपालक अगर चाहते हैं कि भविष्य में उनकी बछिया ज्यादा से ज्यादा दूध दे और उसकी क्वालिटी भी अच्छी हो तो इसके लिए जन्म के बाद से देखरेख करने की जरूरत होती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर बछिया की देखरेख उसकी कम उम्र में की जाए तो फिर इसका फायदा मिलता है और आगे चलकर वो प्रोडक्शन भी अच्छा देती है. सबसे जरूरी ये है कि बछिया का उचित तरीके से पोषण करें. जन्म लेने के बाद उसकी मां का दूध यानी खीस पिलाना न भूलें.
इसके अलावा कई और बातें जिनका ख्याल रखना जरूरी होता है. मसलन बछिया को हीट में कैसे कब लाया जा सकता है. कितने दिन में पहली बार गाभिन होगी. उसके पोषण का ख्याल भी रखना जरूरी है. अगर इन चीजों पर गौर नहीं किया गया तो इसका फायदा नहीं मिलेगा और जब बछिया दूध देने लायक होगी भी तो प्रोडक्शन ज्यादा नहीं होगा.
बछिया को हीट में लाने का तरीका
बछिया को कैसे तैयार करें, बछिया को तैयार करने के लिए उसके पोषण, रहने के स्थान और टीकाकरण का पर भी ध्यान देना होता है. बछिया को अगर अच्छा पोषण मिलेगा तभी वो समय पर हीट में भी आ जाएगी. एक्सपर्ट कहते हैं कि एक बछिया की हीट में आने की उम्र 15 से 24 महीने के बीच होती है. वहीं इस दौरान कुछ उपायों को अपनाकर आप उसे जल्दी हीट में ला सकते हैं जैसे कि थोड़ी मात्रा में गुड़ खिलाकर, बिनौला देकर, सरसों का तेल, तिल और गुड़ का मिश्रण देकर भी बछिया को हीट में ला सकते हैं.
गाभिन कब होती है
गाय की बछिया कितने दिन में गाभिन होगी. यह मामला इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस नस्ल की है गाय से जन्मी है. उसको पोषण कैसा मिल रहा है, वह किस तरह के वातावरण में रहती है. इसके अलावा उसे किसी तरह की गंभीर बीमारी तो नहीं है. आमतौर पर गाय की बछिया की गाभिन होने की उम्र 15 से 24 महीने के बीच होती है.
पोषण का जरूर रखें ख्याल
बछिया के पोषण की उसके स्वास्थ्य में सबसे अहम भूमिका होती है. बछिया के पोषण में सबसे ज़रूरी उसकी मां का दूध होता है. बछिया के जन्म के पहले महीने में उसे प्राथमिक आहार के रूप में उसकी मां दूध भरपूर मात्रा में देना चाहिए. इसके बाद हरा चारा और दाना भी खिलाना चाहिए. अगर बछिया इसके बाद भी कमजोर दिखाई दे रही हो तब किसी पशु चिकित्सक से सलाह लेकर उसके हिसाब से पोषण सामग्री तैयार करके खिलाना चाहिए.
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