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Goat Farming: बकरियों को गाभिन कराने की क्या है सही टाइमिंग, पढ़ें सही वक्त चुनने का फायदा

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चारा खाती बकरियां.

नई दिल्ली. बकरी पालन खासतौर पर ऐसे किसानों, जिनके पास ज्यादा पूंजी नहीं है उनके लिए बहुत ही कारगर व्यवसाय है. अगर इस बिजनेस में हाथ आजमाते हैं तो अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. हालांकि गाय और भैंस पालन की तरह ही बकरी पालन में भी कई बातों का ख्याल रखना बेहद ही जरूरी होता है. मसलन, बकरियों के ब्रीडिंग मैनेजमेंट का ख्याल रखना जरूरी होता है. अगर ऐसा न किया जाए तो फिर इससे प्रोडक्शन पर असर पड़ेगा. इतना ही नहीं बच्चों की मृत्युदर भी काफी हद तक ब्रीडिंग की टाइमिंग पर निर्भर करती है.

एक्सपर्ट का कहना है कि हमेशा ही बकरियों के नवजात बच्चों में दूसरे वातावरण में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इसलिए बकरियों को ऐसे मौसम महीनों में गर्भित करवाना चाहिए कि जिससे बच्चे ऐसे मौसम में पैदा हों जब न तो जयादा गर्मी हो न ही ज्यादा ठंड हो. एक्सपर्ट कहते हैं कि ज्यादातर बकरियां अप्रैल-जून एवं अक्टूबर-नवम्बर माह में हीट में आती हैं. इन महीनों में बकरियों को गर्भित कराने पर मेमनों का जन्म अक्टूबर-नवम्बर (ठंड) और फरवरी मार्च (बसंत) में होता है. इन महीनों में जन्में नवजातों की बढ़वार के लिए वातावरण सबसे ज्यादा बेहतर होता है.

बच्चों बढ़ जाती है मृत्युदर
आंकड़े बताते हैं कि तमाम सावधानी रखने के बावजूद ज्यादा गर्मी (मई-जून), बारिश के मौसम जुलाई-अगस्त और ठंड के मौसम यानि दिसम्बर जनवरी में पैदा हुये बच्चों में सबसे ज्यादा मृत्युदर देखी गई है. कुछ किसान बकरियों को अपरिपक्व और उपयुक्त वजन से कम वजन पर हो गर्भित करा देते हैं. ऐसा करने पर प्रसव में परेशानी (डिस्टोकिया) होती है. बच्चे औसत से कम वजन के पैदा होने से मुश्किल मौसम एवं संक्रमण के प्रति संवेदनशील होने से जल्दी बीमार हो जाते हैं. कम उम्र में बनी मां के नीचे खीस (कोलास्ट्रम) और दूध भी कम आता है. जिसका सीधा संबन्ध बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और शरीर भार व ग्रोथ से होता है.

जल्दी-जल्दी बीमार होती हैं बक​रियां
कम उम्र में मां बनने वाली बकरी अपने जीवनकाल में जल्दी-जल्दी बीमार होती रहती है. ऐसी बकरियों की बच्चे देने की दर और दूध उत्पादन की क्षमता कम होती है. वहीं जीवन आयु अपेक्षाकृत कम रहती है. बढ़े आकार की बकरी जैसे-जमुनापारी, जखराना, बीटल, सिरोही, आदि में प्रथम बार गाभिन कराने की उम्र 14-18 माह और शरीर भार 18-20 किलोग्राम, मध्यम आकार की नस्लें जैसे सुरती, बरबरी, संगमनेरी, ओस्मानाबादी आदि में उम्र लगभग 10-12 माह और शरीर भार 16-18 किलो ग्राम., छोटे आकार की ब्लैक बंगाल प्रजाति में उम्र 8 माह एवं शरीर भार 9 किलोग्राम या अधिक होना चाहिए.

प्रसव से पहले क्या करना चाहिए
जिन बकरियों में बच्चे देने का समय नजदीक यानि 10-15 दिन ही बचा हो. उनकी विशेष देखभाल और निगरानी रखें. उन्हें बकरी आवास के नजदीक चराएं. गर्भित बकरियों के आवास की साफ-सफाई, धूप, संतुलित हवा एवं बिछावन पर विशेष ध्यान दें. यदि किसी बकरी के प्रसव में दिक्कत हो रही हो तो बच्चे निकालने (प्रसव) में बकरी की मदद करें और जरूरत पड़ने पर पशु चिकित्सक की सेवाएं लें.

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