नई दिल्ली. वैसे तो मछली पालन में कई बातों का ध्यान देना जरूरी होता है लेकिन बहुत हद तक जलकृषि की सफलता जल की गुणवत्ता पर निर्भर करती है. सभी मत्स्य पालकों को मत्स्य पालन करते समय पानी की गुणवत्ता की जानकारी होनी चाहिये. पानी में उपस्थित प्राकृतिक भोज्य पदार्थों की मात्रा पानी में मौजूद खाद एवं उर्वरक पर निर्भर करती है, जो जलीय मिट्टी से या सीधे जल से ही हासिल होती है. वहीं जैविक उतपादन दर में संतुलन बना रहता है तथा इसका सीधा संबंध मछली के उत्पादन से होता है.
वहीं मत्स्य पालकों को तालाब में जिन पोषक तत्वों की कमी हो उनकी आपूर्ति जरूरत के मुताबिक करते रहना चाहिए. पोषक तत्वों का सीधा उपयोग प्लवकों तथा जलीय वनस्पतियों द्वारा किया जाता है और इसी से शुरुआती उत्पादन की क्रिया चलती रहती है. एक्सपर्ट के मुताबिक मछली के स्वास्थ्य पर जलीय गुणवत्ता का विशेष प्रभाय पड़ता है. अगर आप जानना चाहते हैं कि तालाब के पानी की गुणवत्ता का कैसी तो इस पूरी रिपोर्ट को गौर से पढ़ें.
ऑक्सीजन का इंतजाम जरूरी होता है
एक्सपर्ट के मुताबिक तालाब में जल आपूर्ति के लिए जल ओत की गुणवत्ता पर ध्यान देना जरूरी है. तालाबों की मिटटी एंव पास के वतावरण की गुणवत्ता को भी देखें. आहार और जरूरी घुलने वाले ऑक्सीजन का इंतजाम करना भी जरूरी है. पानी के ज्यादातर कारक बदलने वाले होते हैं. जल के इन कारकों को भौतिक, रासायनिक तथा जैविक भागों में बांटा जा सकता है.
पानी के लिए फिजिकल फैक्टर
समी के लिए तापमान की एक आर्दश सीमा होती है एक तापमान सहने की सीमा होती है और एक तापमान सहने की अंतिम सीमा भी होती है. मछली का व्यवहार सीधे तौर पर वातावरणीय तापमान से सम्बन्धित होता है. तापमान के बढ़ने या घटने से अन्य भौतिक रासायनिक तथा जैविक कारकों पर काफी प्रभाव पड़ता है. कार्प मछलियों के लिए सबसे अनुकूलतम जल तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है. इसी तापमान कम में ज्यादा से ज्यादा इजाफा, अधिकतम पाचन एंव प्रजनन आदि होती है. तापमान बढ़ने से मछली के लिए उपलब्ध आवश्यक पदार्थों जैसे घुलित ऑक्सीजन इत्यादि घटने लगते हैं. हवा का तापमान प्रतिदिन 10 डिग्री सेल्सियस तक बदल सकता है. जबकि जलीय तापमान 50 सेमी. गहराई पर नहीं बदलता है.
तापमान मैनेजमेंट के लिए क्या करना चाहिए
1 मत्स्य बीज संचय तमी करें जब तापमान सहायक हो.
2 तापमान के अधिक या कम होने पर मत्स्य आहार नियंत्रित कर दें.
3 तापमान के कारण बिमारियों या मृत्यु होने से पूर्व दोहन कर लें.
4 जरुरत होने पर पानी बदलें.
5 जल में तापमान के समुचित वितरण हेतु वायुकरण यंत्रों या जल चककों का प्रयोग किया जा सकता है. जिससे जलीय गुणवतता अच्छी होगी तथा उत्पादन बढ़ेगा. जल मिश्रण से तालाब में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है.
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