नई दिल्ली. तालाब में मछली का बीज डालने से पहले कुछ तैयारियां करनी होती हैं. तभी इसका फायदा मछली पालन में मिलता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर ऐसा न किया जाए तो मछली के प्रोडक्शन और ग्रोथ पर असर पड़ सकता है. इसलिए जरूरी है कि मछली का बीज डालने से पहले तालाब से जलीय खर-पतवार को बाहर निकाल दिया जाए. खर-पतवार निकालने के लिए मजदूर की मदद ली जा सकती है. वहीं जाल से भी इसको निकाला जा सकता है. जबकि रासायनिक दवा का छिड़काव करना भी एक तरीका है. एक एकड़ के तालाब में 3 किलोग्राम 2-4 D दवा का इस्तेमाल करना चाहिए.
एक्सपर्ट के मुताबिक तालाब से गैर जरूरी मछलियों को बाहर कर देना चाहिए. इसका तरीका ये है कि जाल चला इन्हें बाहर किया जाए. या फिर तालाब को सुखाया जा सकता है. वहीं 1000 किलोग्राम प्रति एकड़ महुआ की खल्ली या फिर 150 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से ब्लीचींग पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है. ब्लीचींग पाउडर का इस्तेमाल शाम को सूरज डूबने के बाद करें. इसके अलावा अवांछित कीड़े-मकोड़े को भी बाहर कर दें. इसके लिए सर्फ और वनस्पति तेल 100 एमएल प्रति एकड़ की दर से, वहीं 10 फीसदी साईपरमोथिन या बायोपेरटीसाईड का भी उपयोग कर सकते हैं.
तालाब में क्या-क्या डालें
- एक एकड़ के तालाब में चूने का इस्तेमाल 50 किलोग्राम करना चाहिए.
- एक एकड़ में मवेशी के गोबर का इस्तेमाल 2000 किलोग्राम किया जाना चाहिए.
- सरसो (या) राई की खल्ली का इस्तेमाल 100 किलो हर एक एकड़ की दर से करें.
- वहीं यूरिया का प्रयोग 50 किलो प्रति एकड़, की दर से करें (पुराने तालाब में यूरिया ना दें).
- एक एकड़ में 100 किलो सिगल सूपरफॉस्फेट डालें.
- 20 किलोग्राम की दर से एक एकड़ में पोटाश का इस्तेमाल करें.
- सूक्ष्म मिनरल मिक्सचर का इस्तेमाल 10 किलो प्रति एकड़ की दर से करना बेहतर है.
ये काम भी करें
तालाब को एक सप्ताह तक छोड़ दें. मछली मत्स्य बीज संचय से 24 घंटा पहले तालाब में खाली जाल चला दें. जाल चलाने के बाद 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटाशियम परमेगनेट या अन्य पानी को संक्रमण रहित करने वाली दवा का छिड़काव तालाब में करें. मछली के बीज ईयरलिंग यानि (साल भर का बीज) के आकार की बात की जाए तो औसत लंबाई और वजन 150-200 मीमी और 50-100 ग्राम होना चाहिए. बीज संचय का बेहतरीन समय सुबह 8 बजे से 10 बजे तक है. वहीं मत्स्य बीज संचयन का महीने की बात की जाए तो फरवरी एवं जुलाई (5 महीना का दो फसल चक्र) (1 फरवरी से 30 जून व जुलाई से 30 नवम्बर) है.
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