Home मछली पालन Fisheries: तालाब में खाद का इस्तेमाल कब और कैसे करना चाहिए, यहां पढ़ें तरीका
मछली पालन

Fisheries: तालाब में खाद का इस्तेमाल कब और कैसे करना चाहिए, यहां पढ़ें तरीका

Interim Budget 2024
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहतरीन व्यवसाय का रूप लेता जा रहा है. ज्यादातर मछली पालन तालाब में किया जाता है. तालाब में मछली पालन करने के लिए और उसमें मछली बीज डालने से पहले खाद का इस्तेमाल किया जाता है. बहुत से मछली किसानों को खाद का इस्तेमाल कैसे किया जाए इसके बारे में नहीं जानते हैं. जबकि खाद डालने का कई फायदा होता है. इसलिए जरूरी है कि खाद का प्रयोग कैसे किया जाए, इसके बारे में जानकारी सभी मछली पालकों को होनी चाहिए.

एक्सपर्ट के मुताबिक तालाब में खाद प्रयोग मिट्टी में मौजूद जैविक कार्बन की मौजूदगी के आधार पर की जाती है. जीरा संचयन के 15 दिन पहले कार्बनिक खाद तालाब में दी जाने वाली खाद की कुल मात्रा 20 फीसदी होनी चाहिए. यदि सदाबहार तालाब में जहर के तौर पर महुआ की खाली इस्तेमाल की जाए तो खाद की मात्रा अधिक कर देनी चाहिए. बाकी बचे 80 फीसदी खाद को 10 भागों में बांटकर हर माह तालाब में खाद डालना चाहिए. जबकि रासायनिक खाद को 10 बराबर हिस्सों में बांटकर तालाब के चारों ओर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

मवेशी के खाद का प्रयोग न करें
खाद की बड़ी मात्रा डालने से के बदले छोटी-छोटी मात्रा में 15 दिनों के फर्क पर प्रयोग करना बेहतर है. रासायनिक खाद का प्रयोग कार्बनिक खाद के इस्तेमाल के चार से पांच दिनों में बात करना चाहिए. तालाब में जैविक खाद के रूप में किसी भी मवेशी के खाद का प्रयोग नहीं किया जा सकता है. जैसे मुर्गी सूकर, गाय, बैल आदि का. क्योंकि कुछ खादों में उर्वरा शक्ति अधिक होती है. इसलिए उनकी कम मात्रा का प्रयोग करना भी बेहतर होता है. साथ ही खाद का प्रयोग सूरज निकालने के बाद करना चाहिए.

भैंस का गोबर न डालें
आमतौर पर तालाब में भैंस के गोबर के प्रयोग की मनाही की जाती है. क्योंकि उसमें एक प्रकार का रंग होता है, जो पानी के रंग को गोबर के कलर का कर देता है. जिससे सूरज की रोशनी पानी के नीचे सतह तक जाने में दिक्कत होती है. गोबर के प्रयोग और पानी में ऑक्सीजन के उत्पादन में भी कमी आ जाती है. गांव में मवेशी का गोबर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है. इसलिए तालाब में गोबर के उपयोग की सलाह दी जाती है. कुछ किसानों का अनुभव है कि तालाब की तैयारी के समय गोबर के साथ-साथ यदि तालाब में पुआल का भी उपयोग किया जाए तो फ्लैंक्टन का उत्पादन अच्छा होता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

meat consumption by country
मछली पालन

World Fisheries Day: मछली खाने के हैं कई फायदे, ​इन बीमारियों का भी खतरा हो जाता है कम

मछली हृदय रोगों को रोकने और लड़ने के लिए पोषण देती है....

fish farming
मछली पालन

Fish Farming: ठंड से मछलियों को बचाने के लिए क्या करना चाहिए, इन 8 टिप्स को पढ़कर जानें

टेंपरेचर मेंटेन रहे. एक्सपर्ट कहते हैं अगर पानी का टेंपरेचर नियंत्रित रहता...

fish farming, Fish Farming, Fish Rate, Fish Production, Fish Pond, Fish Species, Fish Center, CMFRI, Tundla News,
मछली पालन

Fish: इन मछलियों को पालें, तेजी से होती है ग्रोथ, ज्यादा होता है मुनाफा

जबकि बहुत सी मछलियां न ज्यादा ठंडे और न ही ज्यादा गर्म...