Home पशुपालन Sheep Farming: भेड़ों को संक्रामक रोग से बचाने के लिए कब लगवाना चाहिए वैक्सीन, जानें यहां
पशुपालन

Sheep Farming: भेड़ों को संक्रामक रोग से बचाने के लिए कब लगवाना चाहिए वैक्सीन, जानें यहां

ganjam sheep
गंजाम भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालक इस बात को जानते ही हैं कि पशुओं को बीमारी से बचाना कितना अहम है. अगर एक बार पशुओं को बीमारी लग गई तो फिर नुकसान ही नुकसान होता है. वहीं पशुओं को बीमार होने के बाद दवा इलाज कराना तो जरूरी है लेकिन एक पशुपालक चाहें तो बीमारी होने से बचाने के लिए उनका वैक्सीनेशन करवा सकते हैं. इससे पशुओं को बीमार और नुकसान होने से बचाया जा सकता है. इसलिए एक्सपर्ट पशुपालकों को सलाह देते हैं कि समय-समय पर टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए.

अगर बात की जाए संक्रामक रोग से टीका लगवाने की तो इस बीमारी की रोकथाम हेतु नियमित रूप से स्वस्थ भेड़-बकरियों/पशुओं को 6 माह की आयु पर निकटतम पशु चिकित्सालय/पशु सेवा केन्द्र/भेड़ एवं ऊन प्रसार केन्द्र के माध्यम से वैक्सीन लगवाना चाहिए. यहां पर पशुपालन विभाग की ओर से वैक्सीन उपलब्ध करवाई जाती है. वैक्सीनेशन सेंटर से वर्ष में एक बार टीकाकरण जरूर करवा लेना चाहिए. कई संक्रामक रोग और जैसे टिटनस, मुहं-खुर रोग, लंगड़ा बुखार, फुट रोट, एन्टरोटौक्सीमिया, निमोनिया आदि के लिए वैक्सीन समय-समय पर लगवाते रहना चाहिए.

संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण शेड्यूल
टीकाकरण से संक्रामक रोगों द्वारा होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है. संक्रामक रोगों का प्रकोप कुछ विशेष मौसम जैसे वर्षाकाल मे होता है. इसलिए वर्षाकाल से पहले टीकाकरण करवा लेना चाहिए. पशु पालन विभाग अपने तमाम पशु स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से भेड़ पालकों को मुफत टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध करवाता है. बात की जाए कौन सी बीमारी की वैक्सीन कितने दिनों पर लगाई जाए तो उसमें मुंह, खुर बीमारी के लिए एन्टेरोटोक्सीमियां लगवाएं और ये वैक्सीन बारिश से पहले लगावा लेनी चाहिए. फिर 6 महीने बाद और फिर एक साल बाद बार लगवाएं. पीपीआर रोग की बात की जाए तो बरसात से पहले ये टीका लगवाना चाहिए. फिर एक साल बाद.

भेड़ों में रोग फैलने के कारण
1 एक विशेष क्षेत्र में पाली गयी भेड़ों में उस क्षेत्र के रोगों या बुरे प्रभवों को रोकने की शक्ति पैदा हो जाती है. वातावरण के बदलने से उनकी सहनशक्ति भी कम हो जाती है.

2 यदि भेड़ों को सूखी भूमि में न चराया जाए. उन्हें खड़ा पानी पिलाया जाए व उन्हें गीली गन्दी जमीन पर रखा जाए तो उन पर रोगों का आकमण हो सकता है.

3 एक दम भेड़ का चारा बदल देना, आवश्यकता से अधिक भेड़े पालना भी भेड़ों के जीवन के लिए खतरा है. क्योंकि एक ही भूमि के टुकड़े पर अधिक संख्या में भेड़े चराने से वहां की उपयोगी घास तो खत्म होगी है. बल्कि बाह्या व आंतरिक परजीवियों की संख्या भी कई गुणा हो जाएगी.

4 परजीवियों के आक्रमण व नमी के वातावरण के कारण भेड़ों में कई प्रकार के रोग लगे रहते है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news, Animals in rain, Disease in animals, Animal husbandry, Animal enclosure, Animal news, CRRG, Flood, Flood news, Green fodder, Taj Trapezium Zone, TTZ, National Green Tribunal, NGT, Taj Mahal, Supreme Court
पशुपालन

Animal Husbandry: 45 करोड़ रुपये से होगी पशुओं की गिनती, जानें क्यों होती है पशुओं की गिनती

दूध उत्पादन में हम पहले स्थान पर हैं लेकिन प्रति पशु दूध...

live stock animal news, Survey on farmers, farmers' income, farmers' movement, MSP on crops, Chaudhary Charan Singh Agricultural University, HAU, agricultural economist Vinay Mahala, expenditure on farming.
पशुपालन

Animal Husbandry: डेयरी पशुओं की इन चार परेशानियों का घर पर ही करें इलाज, यहां पढ़ें डिटेल

वैकल्पिक दवाओं की जानकारी पशुपालकों के लिए जानना बेहद ही अहम है....