Home मीट Meat: यहां जानें देश के किस राज्य से सबसे ज्यादा होता है मीट का एक्सपोर्ट
मीट

Meat: यहां जानें देश के किस राज्य से सबसे ज्यादा होता है मीट का एक्सपोर्ट

red meat
रेड मीट की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. देश में मांस उद्योग कल 15000 करोड़ से ज्यादा रुपये का है. इस पर कुल 25 लाख लोग निर्भर हैं. यानी 25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रयक्ष रूप से इस कारोबार से रोजगार मिलता है. मांस निर्यात में उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. इसमें अवैध बूचड़खानों के आंकड़े नहीं हैं. एक आंकड़े की मानें तो यूपी में सबसे अधिक मांस का निर्यात करता है. जबकि आंध्र प्रदेश का नंबरर निर्यात में दूसरे स्थान पर है. इसके बाद महाराष्ट्र मांस निर्यात करने वाला राज्य है.

साल 2022-23 में भारत से 10.75 मीट्रिक टन मीट एक्सपोर्ट किया गया था. जिसमें यूपी से छह लाख 49 हजार 675 मीट्रिक टन मीट एक्सपोर्ट हुआ है. बताते चलें कि विश्व में भैंस के मांस के उत्पादन का लगभग 43% भारत में ही किया जाता है. जिसमें सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है, उसके बाद आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में किया जाता है. बताते चलें कि भारत दुनिया में भेड़ और बकरी के मांस का सबसे बड़ा निर्यातक है.

अरब कंट्रीज में होता है एक्सपोर्ट
देश भर में कुल 72 बूचड़खाने हैं जिसे लाइसेंस प्राप्त है. जिसमें से अकेले ही 38 यूपी में हैं. इसमें चार बूचड़खाने ऐसे हैं, जिसे सरकार खुद चलाती है. जो आगरा और सहारनपुर में हैं. वहीं दो अन्य प्रस्तावित बूचड़खाने लखनऊ और बरेली में हैं. अलीगढ़ में हिंद एग्रो आईएमपीपी पहला बूचड़खाना है जिसे साल 1996 में शुरू किया गया था. यहां समझने वाली बात यह है कि खाड़ी के देशों में भैंस के मांस की काफी डिमांड है. भारत इसके लिए सबसे कारगार देश है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि सस्ता माल मिलता है और विक्रेता को इसका भरोसा मिलता है कि उसे हलाल मांस दिया जा रहा है.

ये लाइसेंस देने की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश में बूचड़खाना चलाने के लिए यूनिट लगाने के बाद उसके लिए यूपी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से परमिशन लेनी होती है. फिर अप्लीकेशन शहर डीएम के पास क्लीयरेंस के लिए जाती है. डीएम इस आवेदन को एक पैनल के पास भेजता है, जो यूनिट का निरीक्षण करती है. फिर प्रदूषण विभाग की ओर से भी निरीक्षण किया जाता है. जिसके बाद एनओसी मिल जाती है. एपीईडीए के पास आवेदन भेजा जाता है, जो केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है. इन सबके क्लीयरेंस मिलने के बाद बूचड़खाने को लाइसेंस दिया जाता है.

केंद्र सरकार करती है मदद
बूचड़खाने में हररोज 300 से 3000 जानवरों को काटा जाता है. ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि बूचड़खाने की सीमा कितनी है. एक भैंस की औसत कीमत 20 हजार रुपये होती है और एक बूचड़खाने को शुरू करने के लिए 10 एकड़ जमीन की जरूरत होती है. इसे शुरू करने में 40 से 50 करोड़ रुपये खर्च होता है. सांड़ को काटने की इजाजत तब मिलती है जब वो 15 साल से अधिक का हो या फिर बीमार हो. केंद्र सरकार हमेशा से ही उद्योग को बढ़ावा देती आई है. केंद्र सरकार बूचड़खानों को लगाने के लिए 50 फीसदी की मदद करती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

poultry farming
मीट

Poultry Meat: अमेरिका से आया इस पोल्ट्री मीट का पहला कंटेनर, जी-20 सम्मेलन में हुआ था समझौता

भारत में रहने वाले विदेशियों में टर्की के मीट की खासी डिमांड...

halal meat
मीट

Halal Meat: हलाल मीट के लिए अब देश ने बनाए अपने नियम और लोगो, यहां पढ़ें डिटेल

कुछ लोगों ने हलाल प्रोडक्ट का बहिष्कार किया था. कई शहरों में...

muzaffarnagari sheep weight
मीट

Meat: मीट के लिए भेड़ पालन पर कितनी आएगी लागत और क्या होगा मुनाफा, पढ़ें यहां

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि किसी भी कारोबार को जब शुरू...