नई दिल्ली. पिछले दिनों तिरुपति बालाजी मंदिर में हुए लड्डू केस के बाद देश में घी को लेकर खूब चर्चा हो रही है. इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि इस घटना के बाद दो पहलू सामने आए हैं. अगर इसके सकारात्मक पहलू पर बात की जाए तो अब लोगों का यकीन ब्रांड पर और ज्यादा बढ़ जाएगा. जिसका फायदा ऐसे लोगों को होगा जो ब्रांडेड सामान बेचते हैं. वहीं इस पूरे मामले से डेयरी सेक्टर को नुकसान भी होगा. क्योंकि हो सकता है कि अब बाजार से घी खरीद कर खाने से लोग बचें. क्योंकि लोगों के मन में यह बात घर कर गई है कि घी और इससे बने आइटम में मिलावट हो रही है.
आरएस सोढ़ी का कहना है कि दूध और घी जैसे प्रोडक्ट में मिलावट की वजह से पशुपालकों को भी नुकसान होता है. क्योंकि मिलावटी डेयरी का सामान सस्ता होता है. वहीं प्योर आइटम महंगा होता है. इस वजह से सस्ते के चक्कर में लोग सामान को खरीद लेते हैं और जो लोग प्योर समान बेचते हैं उन्हें इसका सीधा नुकसान होता है. हालांकि अब ग्राहकों में इस घटना के बाद से जागरूकता आई है और हो सकता है कि अब कुछ भी खरीदने से पहले वह उसकी जांच पड़ताल जरूर करें.
सस्ता के मतलब मिलावट तो नहीं
डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट का कहना है कि ऐसा पहला मामला नहीं है कि जब घी में मिलावट का मामला सामने आया है. अक्सर इस तरीके के मामले सामने आते रहते हैं लेकिन अब लोगों में जागरूकता आई है. मंदिर और गुरुद्वारे जहां पर बड़ी मात्रा में घी जैसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल होता है. वहां पर घी बेचने वाली कंपनियां सस्ता घी नहीं बेच सकेंगी. क्योंकि इस घटना के बाद लोगों को समझ में आ गया है कि सस्ते का मतलब मिलावट भी हो सकता है.
नई तकनीक पर दिया जोर
उन्होंने बताया कि मिलावटी घी की पहचान करना आसान है. अगर घी का दाम 550 रुपये है तो जो मिलावटी घी बाजार में 350 रुपए तक में आसानी से मिल जाएगा. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 550 रुपये वाला घी कोई 350 में क्यों बेचेगा. जरूर इसमें मिलावट की गई है. हालांकि एफएसएसएआई जैसी एजेंसी भी अब पहले से अलर्ट हो गई है. वह अपने फील्ड ऑफिसर और सैंपल लेने वाले कर्मचारियों को सलाह दे सकती है कि घी जैसे प्रोडक्ट का सैंपल लेते वक्त ज्यादा एहतियात बरतें. उन्होंने कहा कि घी जैसे प्रोडक्ट की जांच करने के लिए ज्यादा नई तकनीक की जरूरत है. क्योंकि मिलावट करने वाले अलग-अलग तरीके को खोज लेते हैं.
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