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बकरी के बच्चों को क्यों होता है निमोनिया, उसे बचाने के लिए क्या करें, पढ़ें एक्सपर्ट क्या कहते हैं

नई दिल्ली. निमोनिया ऐसी बीमारी है जो इंसानों में तो होती है लेकिन ये बकरियों को भी हो जाती है. ज्यादातर बकरियों के बच्चे इसकी चपेट में आते हैं, वो भी ठंड में नहीं बल्कि गर्मी में. सुनने पढ़ने में ये जरूर अजीब लगे लेकिन ये हकीकत है. बकरियों के बच्चे गर्मी में इस बीमारी से सबसे ज्यादा परेशान होते हैं, उनकी मौत तक हो जाती है. वहीं केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट का इस संबंध में कहना है कि आमतौर पर जहां सभी पशुओं में की प्रजाति गर्मी में परेशान रहती है तो दूसरी ओर बकरी एक ऐसी प्रजाति है जो गर्मियों में बहुत ही कूल रहती है. गर्मी में दूसरे पशुओं का दूध उत्पादन कम होता है तो बकरी के दूध पर इसका कोई असर नहीं होता. इस प्रजापति का गर्मी में भी कूल महसूस करना उनके बच्चों को निमोनिया का शिकार बनाता है.

एक्सपर्ट बताते हैं कि निमोनिया के चलते बकरी के बच्चों की जान चली जाती है. एक्सपर्ट सला देते हैं कि गर्मी का मौसम शुरू होते ही जहां बकरियों को रखा जाता है वहां कुछ बदलाव करना चाहिए. इस संबंध में सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि जब बकरियों के बच्चों में निमोनिया होता है तो उन्हें सांस लेने में सबसे ज्यादा परेशानी महसूस होती है. उन्हें बुखार आ जाता है. जबकि उनकी नाक भी बहती है. इसलिए तुरंत उन्हें इलाज मिलना चाहिए. हालांकि ऐसा नहीं है कि बकरियों के छोटे बच्चों के लिए ठंड ठीक है. उनके लिए हर मौसम दुश्मन होता है. यदि ज्यादा गर्मी हुई तो भी परेशानी, कड़ाके की ठंड हुई तो भी मुश्किल. इसलिए हमेशा ये ध्यान देना चाहिए कि बकरियों को कब गाभिन किया जाए कि ज्यादा ठंड और ज्यादा गर्मी से बचाया जा सकता है.

कैसे होती है निमोनिया की शुरुआत

इस मसले पर बात करते हुए डॉ. अशोक कुमार कहते हैं कि हमारे देश में जब भी मौसम परिवर्तन होता है तो ये बहुत अचानक बदल जाता है. जैसे अगर गर्मियां शुरू होती हैं तो तापमान अचानक से ही तेजी से बढ़ जाता है. तब बकरी के बच्चे अपने को उस मौसम में तुरंत नहीं ढाल पाते हैं. जो उनके लिए नुकसानदे होता है. यही वजह है कि बकरी के बच्चे निमोनिया के शिकार हो जाते हैं. निमोनिया कैसे शुरू होता है इसकी बात की जाए तो उन्हें बुखार आने लगता है, नाक बहती है और सांस लेने में परेशानी होने लगती है. जैसे ही यह लक्षण दिखाई दें तो तुरंत जानवरों के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. बकरी के बच्चे को तुरंत गैप किए बिना ही जैसे डॉक्टर बताते हैं उन्हें दवा देना चाहिए.

ऐसा करें तो नहीं होगा निमोनिया

वहीं डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि गर्मी के मौसम में बचाव के लिए कुछ जरूरी बातों पर ध्यान दिया जाए तो बकरी के बच्चों को निमोनिया से बचाया जा सकता है. सबसे पहले तो बकरी पालक को बकरियों के आवास में कुछ अहम फेरबदल करना चाहिए. बकरियों के शेड को पूरी तरह से ढक दें, ताकि गर्म हवाएं आसानी से न आएं. वहीं इस बात का ख्याल रखें कि दोपहर एक बजे से चार बजे तक बकरियों और उनके बच्चों को चराने के लिए बाहर न ले जाएं. जबकि सुबह और शाम में ही बकरियों को चराना चाहिए. वहीं उन्हें पानी खूब पिलाना चाहिए. हालांकि पानी गर्म नहीं होना चाहिए. क्योंकि गर्मी के मौसम में बकरियों के चरने के वक्त में कमी आना लाजिमी है तो उन्हें शेड में भरपूर चारा दिया जाना चाहिए. जबकि कोशिश करें कि इस दौरान बकरियों और उनके बच्चों को पूरा न्यूट्रिशन मिल सके. इसके लिए चाहें तो पैलेट्स फीड भी खिला सकते हैं.

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