नई दिल्ली. बकरी पालन भारत में किसानों के लिए बहुत ही अच्छा व्यवसाय साबित हो रहा है. बकरी पालन करके किसान अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. खास तौर से लघु, सीमांत किसान को इसका बहुत फायदा मिल रहा है. किसान बकरी का दूध और मीट बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते हैं. हालांकि यह सारी चीज इस बात पर निर्भर करती हैं कि हम बकरी की देखभाल कैसे करते हैं. अक्सर किसानों के मन में ही सवाल होता है कि बकरी के बच्चों को क्या खिलाया जाए कि वह तंदुरुस्त रहें. एक्सपोर्ट कहते हैं कि बकरी के बच्चे को कितना भोजन देना चाहिए या उसकी उम्र वजन और पोषण गुणवत्ता पर निर्भर करता है. नवजात बकरी के बच्चे को पहले दिन में मां के दूध के अलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए. क्योंकि मां का दूध उसके लिए पूरी तरह से पौष्टिक होता है और उसकी पाचन क्रिया में मदद करता है.
मां का दूध सबसे जरूरी
जन्म से लेकर 2 महीने तक शुरुआत में बकरी के बच्चे को मां के दूध के अलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए. मां का दूध उसका प्राथमिक आहार होना चाहिए और क्योंकि ये उनको आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है. 2 महीने से 3 महीने की उम्र के बाद आप बकरी के बच्चे को धीरे-धीरे सामान आहार देना शुरू कर सकते हैं. इसमें घास, अनाज, बकरी का चारा शामिल हो सकता है लेकिन इसे कम मात्रा में दिया जाना चाहिए और धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए.
इस घास को खिलाएं
3 महीने और उससे अधिक के बाद बकरियों के बच्चों को सब तरह के आहार दे सकते हैं. जैसे खाने योग्य गेहूं, मक्का, सोयाबीन, भोजन और विशेष रूप से पशु चारा. इससे उनके विकास और वजन बढ़ाने में मदद मिलेगी. बकरी के बच्चे को हमेशा नया आहार खिलाना चाहिए. जिस चारे में बकरी की बच्चे को अल्फला घास, चारागाह घास, सूखी घास आदि खिलाना चाहिए. दाने में बकरी को बच्चों का अनाज मक्का गेहूं मूंगफली आदि देना चाहिए.
ये भी खिला सकते हैं
यदि बच्चा कमजोर है, तो संतुलित दाना चारा एवं अन्य पोषक तत्वों के साथ-साथ नियमित रूप से उचित मात्रा में खनिज रावण भी देना चाहिए. कमजोर बकरी के बच्चे को कैल्शियम और प्रोटीन की दवाई भी देनी चाहिए. जिससे बच्चा तंदरुस्त रहे. बकरी के बच्चे को चारा, पेड़ के पत्ते, अंगूर सूखी घास और अनाज की थोड़ी मात्रा दी जा सकती है. दाने में दलिया, मूंगफली मक्का और गेहूं दिया जा सकता है.
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