नई दिल्ली. बहुत कम किसान इस बात को जानते हैं कि जब वह पशु को चराने के लिए खेत आदि के किनारे जाते हैं तो पशु बहुत से खरपतवार खा लेते हैं, जो उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि खरपतवार पशुओं के लिए बहुत नुकसानदायक होते हैं. हर रोज पशु जंगल में चरने के लिए जाते समय इन खरपतवार को खा लेते हैं. पशुपालकों को लगता है कि पशु सिर्फ हरी पत्तियों और तने खाते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. जबकि पशु इस दौरान खतरनाक खरपतवार भी खा लेते हैं जो उनके उत्पादन को बेहद ज्यादा प्रभावित करता है. कई बार तो पशु इसकी वजह से बीमार हो जाते हैं. उनकी मौत भी हो जाती है.
एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक खरपतवार पशु के पेट में जाने के बाद नुकसान पहुंचती है. यह खरपतवार की पत्तियां, फल और उसके बीच पशु के शरीर पर चिपक कर भी उसे नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं. कुछ खरपतवार ऐसे होते हैं, जिनकी पत्तियां पशुओं की आंखों की रोशनी तक को प्रभावित कर देती हैं. कई-कई दिन तक शरीर से चिपकी खरपतवार भेड़ बकरी के रेशे को भी नुकसान पहुंचती रहती हैं.
आंखों की रौशनी पर पड़ता है असर
एनिमल एक्सपोर्ट के मुताबिक लैंटाना कैमरा की पत्तियां खाने से पशु पीलिया का शिकार हो सकता है. साथ ही आंखों पर भी इसका खराब असर पड़ता है. गाजर घास के संपर्क में आने से पशु को खुजली हो जाती है. शरीर पर सूजन की समस्या होती है. एलर्जी का शिकार भी हो जाते हैं. कॉक लेबर या छोटा धतूरा खा जाने की वजह से लीवर पर अटैक होता है. पशु को इसमें पीलिया हो जाता है. किडनी और पशु के हार्ट पर भी असर पड़ता है. जॉनसन घास जहरीली होती है. पशु के पूरे शरीर पर इसका असर दिखता है. वहीं पंक्चर वाइन खरपतवार सूखे इलाके में पाई जाती है. इससे भेड़ को सबसे ज्यादा नुकसान होता है. भेड़ की आंख की रोशनी पर यह असर डालते हैं. खुर में घाव कर देती हैं. इतना ही नहीं पशुओं के शरीर में पंक्चर कर देती हैं. पेड़ को भी बेहद ज्यादा यह प्रभावित करती है. जैंथियम स्ट्रैमारियम जैंथियम स्ट्रैमारियम खरपतवार खासतौर राजस्थान में होती है और गर्भवती भेड और इसकी इसे खा लें तो गर्भपात हो जाता है.
सांस लेने की समस्या हो जाती है
रोडो डेंड्रोन रोडा डेंड्रोन खरपतवार कश्मीर में होती है. भेड़ बकरी इसे खा लेती है तो दाग हो जाते हैं. साथ यह दूध और खून पर भी असर डालता है. पत्तेदार स्पेरेज को खाने से पशुओं को दस्त हो जाता है. यह कमजोरी पैदा करता है. खासतौर पर भेड़ के लिए यह बहुत ही खतरनाक होता है. सूखे की स्थिति में चैनोपोडियम पनपने लग जाता है. इसमें नाइट्रोजन की मात्रा 1000 पीपीएम तक पहुंच जाती है और पशु इसे खाता है तो सांस की बीमारी हो जाती है. नीटल खरपतवार के बल से पशुओं की खुजली होती है. भेड़ बकरी और याक से उन मिलती है लेकिन जैंथियम स्पेसिस खरपतवार शरीर में चिपकती है तो उनके शरीर में मौजूद रेशे को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचजाते हैं.
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