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Poultry Farming: क्या है हैल्दी और बीमार मुर्गियों की पहचान, इन 14 प्वाइंट्स को पढ़कर जानें

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मुर्गी पालन करने से कई फायदे हैं. अगर इसके फायदे गिनाए जाएं तो सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं अच्छी बात ये भी है कि इसे कम जगह पर आसानी के साथ किया जा सकता है. अगर आपके पास बड़ी जगह नहीं भी है तो भी आप मुर्गी पालन करके कमाई कर सकते हैं. इसके लिए आप अपने घर या गांव में किसी खाली जगह का भी इस्तेमाल कर सकते हैं और मुर्गी पालन करके कमाई एक और जरिया बना सकते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि मुर्गी पालन करके अंडे और मांस को बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

अगर किसान मुर्गी पालन करता है तो इससे एक्स्ट्रा कमाई कर सकता है. हालांकि मुर्गी पालन करने के लिए भी ये जरूरी है कि इससे जुड़ी तमाम जानकारी कर लें. सबसे जरूरी तो ये है कि हैल्दी और बीमार मुर्गियों की पहचान करना हर पोल्ट्री फार्मर्स को आना चाहिए. अगर इसकी पहचान नहीं हो सकेगी तो बीमार मुर्गी हैल्दी मुर्गियों को भी बीमार कर देगी और इससे पोल्ट्री फार्मर को फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस आर्टिकल में हम आपको हैल्दी और बीमारी मुर्गियों की पहचान के बारे में ही बताने जा रहे हैं. जो बेहद जरूरी है.

हैल्दी मुर्गियों की पहचान ऐसे करें
सामान्य वजन, फुर्तीलापन, हाथ से पकड़ने पर खुद को छुड़ाने की कोशिश करना, उठाते समय टांगों में ताकत का अहसास होना.

चेहरा भरा हुआ होना, नाक साफ व म्यूकस रहित होना, आंखों में ज्योति और अधिक रौशनी होने पर जल्दी से आंखों का खुद को उसी हिसाब से ढाल लेना.

कलंगी व गलकम्बल साफ होना, चमकदार और लाल रंग का होना.

पंख साफ-सुथरे और व्यवस्थित होने चाहिए, चमड़ी चमकदार और पिगमेंट वाली होती है.

टांगे समान, चमकदार, साफ व भरी हुई होती है.

मुर्गियां बराबर दाना खाती हैं, पानी पीती है तथा क्रॉप भरी हुई होती है.

बींट-सफेद रंग लिये हुए मटमैले भूरे रंग की बंधी हुई होती है.

अस्वस्थ मुर्गियों के लक्षण
वजन में कमी, सुस्ती एवं उदासी, उठाते समय संघर्ष न करना, सांस लेते समय जल्दबाजी और शारीरिक तापमान कम या ज्यादा होना.

पेट फूला हुआ या पानी से भरा हुआ, नासिका में म्यूकस, आंखे सुस्त व सूजी हुई होना.

कलंगी सिकुड़ी या मुरझाई हुई पीले या नीले रंग की एवं गलकम्बल में सूजन का होना.

पंख झुके हुए मैले से रंग के और चमड़े में सूजन-सी दिखाई देना.

टांगों में सूजन का मिलना और लंगड़ा कर चलना.

आहार उपयोग कम या बन्द तथा अधिक प्यास लगना.

हरे, पीले, सफेद रंग की बीट, दस्त के रूप में पतली बीट होना.

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