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Camel Milk: यहां जानें ऊंटनी के दूध की क्या है खासियत, एक्सपर्ट क्यों देते हैं इसको पीने की सलाह

camel milk
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. साल 1984 में स्थापित राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (NRCC) पिछले डेढ़ दशक से ऊंटनी के दूध एवं इसकी उपयोगिता पर कार्य कर रहा है. NRCC की ओर से इसपर की गई रिसर्च एवं विश्व स्तर रिसर्च से ये नतीजा निकलकर सामने आया है कि ऊंटनी का दूध कई बीमारियों के उपचार में लाभकारी है. ऊंटनी का दूध पीने से शरीर को कई फायदे होते हैं. ऊंटनी का दूध पीने से कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही फायदा है. फिर देर किस बात की है, आइए जानते हैं कि ऊंटनी का दूध कितना फायदेमंद है.

ऊंटनी के दूध में कई पोषकीय गुण होते हैं. NRCC के एक्सपर्ट का कहना है कि ऊंटनी का दूध अन्य दुधारु जानवरों के दूध की तरह रंग में सफेद एवं गंधरहित होता है और इसमें 8-11 प्रतिशत सकल ठोस पदार्थ, 1-2.5 प्रतिशत कुल प्रोटीन तथा वसा कम मात्रा (मात्र 1-3 प्रतिशत) में पाया जाता है.

क्या-क्या है ऊंटनी के दूध में
ऊंटनी का दूध लम्बे समय तक (8-9 घंटे तक) खराब नहीं होता. जबकि अन्य पशुओं का दूध बहुत जल्दी खराब हो जाता है. ही साथ ही इसका जीवनकाल उष्ट्र लेक्टीपरऑक्सीडेज प्रणाली की सक्रियता द्वारा (37 डिग्री सेल्सियस पर 18-20 घंटे तक) बढ़ाया जा सकता है. ऊंटनी के दूध में लोहा (0.32-0.36 मिली ग्राम होता है. जस्ता (1.2-6.3 मिली ग्राम होता है. तांबा (0.09-0.5 मिली ग्राम पाया जाता है. वहीं खनिज तथा विटामिन बी1 (0.03 मिली ग्राम), बी, (0.04 फीसदी मिली ग्राम) बी, (0.05 परसेंट मिली ग्राम), बी (0.0002 परसेंट मिली ग्राम) और विटामिन सी (40-50 मिली ग्राम प्रति किग्रा में भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

बच्चों के लिए है मुफीद
एक्सपर्ट के मुताबिक ऊंटनी के दूध में जरूरी वसीय अम्ल (लिनोलिक, एरेकिडिक इत्यादि) भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ऊंटनी के दूध में प्रचुर मात्रा में लाइसोजाइम, लैक्टो-फेरिन, इम्युनोग्लोब्युलिन, लैक्टोपर- ऑक्सीडेज एवं इस प्रकार के अन्य गुण वाले रक्षात्मक कारक होने से शरीर में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता का विकास होता है. यह दूध क्षय रोग, हेपेटाइसिस सी एवं सामान्य त्वचा रोगों से निजात दिलाने में सहायक है. ऊंटनी के दूध में बीटा-लेक्टॉग्लोब्युलिन प्रोटीन रहित एवं अल्फा-लेक्टॉल्ब्युमिन प्रचुर मात्रा में होने से इंसानों (विशेषकर बच्चों) में गाय के दूध की तरह यह एलर्जी नहीं करता है.

कई बीमारियों से बचाने में मददगार है
शोध आधारित परिणाम यह साबित करते हैं कि इसका दूध बच्चों में ऑटिज्म रोग के उपचार में उपयोगी है. वहीं यह आर्थराइटिस और कैंसर जैसे रोगों तथा हाईपरकॉलेस्ट्रिमिया में प्रभावी पाया गया है. फरर्मेंटेशन दूध के प्रोबायोटिक कारक अतिसार, एलर्जी एवं श्वास संबंधी रोगों में गुणकारक है.

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Livestock Animal News

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