नई दिल्ली. मुख्यमंत्री डॉ. यादव के संकल्प के तहत सरकार मध्य प्रदेश को देश की दूध राजधानी बनाने के लिए काम कर रही है. राज्य शासन द्वारा इसके लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश नदियों का मायका है. पूरा प्रदेश पेड़ों से भरा है. साल 2002-03 तक पशुपालन विभाग का बजट सिर्फ 300 करोड़ था, जो बढ़कर अब 2600 करोड़ हो गया है. किसी समय प्रदेश में फैट मात्रा के अनुसार दूध खरीदने की व्यवस्था लागू की गई थी. राज्य सरकार ने अमृत समान गौ-माता का दूध खरीदने का निर्णय लिया है, ताकि गौ-पालकों तक लाभ पहुंचे.
गाय का दूध सम्पूर्ण आहार है. राज्य में हाईटेक गौशालाएं संचालित हो रही हैं. सरकार का अर्थ ही यह है कि गरीबों के जीवन से कष्टों का नाश हो और सुख का मार्ग प्रशस्त हो. राज्य सरकार ने गौशाला संचालन के लिए अनुदान राशि 20 रुपए से बढ़कर 40 रुपए प्रति गाय प्रतिदिन की गई है.
क्या-क्या काम हो रहे हैं
राज्य सरकार ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड से अनुबंध किया है. प्रदेश का दूध उत्पादन पांच गुना करने का लक्ष्य है.
वर्तमान में प्रदेश में साढ़े पांच करोड़ लीटर दूध उत्पादित होता है और इसमें से लगभग आधा घरेलू उपयोग और शेष मार्केट तक पहुंचता है.
फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर प्रदेश में दुग्ध से समृद्धि के लिए नई योजनाएं बना रहे हैं.
दूध उत्पादन और संकलन के कार्य को व्यवस्थित बनाने के लिए समितियों की संख्या भी 9 हजार से बढ़कर 26 हजार करने का संकल्प है.
पिछले दिनों मुख्यमंत्री आवास पर हुए राज्य स्तरीय गौशाला सम्मेलन में बड़ी संख्या में गौशाला संचालकों ने भागीदारी की.
इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने पशुपालन एवं डेयरी विभाग का नाम डेयरी और गौपालन विभाग करने की घोषणा की.
इसी अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गौशालाओं के लिए 90 करोड़ रुपए की अनुदान राशि सिंगल क्लिक से अंतरित की.
उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के हितग्राहियों को प्रतीक स्वरूप ऋण स्वीकृति के आदेश भी दिए.
मुख्यमंत्री की घोषणाओं से प्रदेश के गौपालकों में उत्साह है. सरकार की योजनाओं से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में लोग गौपालन के लिए प्रेरित हो रहे हैं.
पिछला साल गौसंरक्षण और संवर्धन के नाम रहा पशुपालकों एवं गौसंवर्धन विकास के लिए सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए 590 करोड़ रुपए का प्रावधान किया.
इसके अलावा इस वर्ष मुख्यमंत्री सहकारी दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना के लिए बजट में 150 करोड़ का प्रावधान किया गया.
कई शहरों में हाईटेक गौशालाएं बनाई जा रही हैं. जिनकी क्षमता 10 हजार गौवंश तक होगी.
प्रदेश में संचालित 2500 गौशालाओं में 4 लाख से अधिक गौवंश का पालन किया जा रहा है.
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