नई दिल्ली. पशुओं के लिए ड्राई फ्रूट से कम अहमियत नहीं रखने वाले अजोला फर्न की खेती उत्तर प्रदेश में किसान बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. पशुपालन विभाग के पूर्व डायरेक्टर डॉ. इंद्रमणि कहते हैं कि यूपी के किसान अब इसकी कमर्शियल खेती करने में लगे हैं. नदियों से जुड़े गांवों में इसकी खेती ज्यादा हो रही है. उन्होंने कहा कि आधुनिकता के दौर में किसान भी मल्टीटास्किंग पर जोर दे रहे हैं, ऐसे में इस मॉडल से कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं है. अजोला फर्न की खेती करने से किसानों के मवेशियों को प्रोटीन के साथ कई फायदे हो रहे हैं. यह पशुओं के लिए बेहतरीन स्रोत है. इस चारे में 25 फ़ीसदी से अधिक प्रोटीन पाया जाता है. जो मवेशियों के लिए बहुत ज्यादा गुणकारी है.
इन जिलों में हो रही खेती
खासतौर पर उत्तर प्रदेश में गंगा नदी से सटे जिलों में मेरठ से लेकर बलिया तक कई गांव में अजोला की खेती हो रही है. इसमें मेरठ, बिजनौर, बुलंदशहर, कानपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर, प्रयागराज, कौशांबी, मिर्जापुर जिले शामिल हैं. वहीं छपरा बिहार तक अजोला फर्न की खेती किसान कर रहे हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि यह एक ऐसा चारा है, जिसकी खेती साल भर तक की जा सकती है. क्योंकि जहां पर पानी का रुकाव होगा, वहां पर अजोला की पैदावार ज्यादा होती है. यही वजह है कि नदियों से सटे गांव में इसकी खेती पर किसान जोर दे रहे हैं.
नमी वाली जमीन पर यह जिंदा रहता है.
डॉ. इंद्रमणि का कहना है कि अजोला चारा कमजोर पशुओं को तंदुरुस्त बना देता है और इससे उनकी ताकत भी बढ़ जाती है. सर्दियों में अजोला सबसे अच्छा चार माना जाता है. एक तरह का जालीय फर्न है जो पानी की सतह पर रुकता है. उन्होंने बताया की नमी वाली जमीन पर यह जिंदा रहता है. अजोला उत्पादन के लिए उसे भूमि की सतह पर 5 से 10 सेंटीमीटर ऊंचे जलस्तर की जरूरत होती है. साथ ही 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त माना जाता है.
सभी पशुओं के लिए है मुफीद
अजोला घास जिसे पशुओं के लिए ड्राई फ्रूट भी कहा जाता है. इसका सेवन करने वाले मवेशियों के स्वास्थ्य सभी अन्य अन्य पशुओं की तुलना में काफी ज्यादा बेहतर होता है. इसका मुख्य कारण यह है कि इसमें दूसरे चारे की तुलना में 25 फ़ीसदी ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. यह दूसरे किसी चारे की तुलना में बहुत अधिक है. इसे गाय, भैंस, बकरी और सभी पशुओं को खिलाया जा सकता है.
ऐसे करें अजोला की वुवाई
यदि कोई किसान अजोला चारा उगाना चाहता है, तो इसके लिए सबसे पहले एक छायादार जगह पर 60 फुट लंबी 10 फीट चौड़ी और दो फीट गहरी क्यारी तैयार करनी होगी. इन क्यारी में कम से कम 120 गज की सिलपुटीन शीट लगाई जाती है. इसके बाद क्यारी में लगभग 100 किलो उपजाऊ मिट्टी बिछाई जाती है. इसके बाद 15 लीटर पानी में 5 से 7 किलो पुराने गोबर को मिलाकर घोल बना लेना होता है. क्यारी को 500 लीटर पानी से भर दें. जिसकी गहराई 12 सेंटीमीटर से 15 सेंटीमीटर तक रखें. उसके बाद अजोला की बुवाई करें.
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