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Dairy Animal: दूध उत्पादन बढ़ाने और गायों की नस्ल सुधार के लिए इस बड़े काम की रखी गई बुनियाद

पशु के शरीर के घाव पर लार गिरने से भी यह बीमारी फैलती है. यह बीमारी पशुओं से इंसानों में भी हो सकती है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. देश में देशी गोवंश के अपग्रेडेशन का काम हो रहा है. ताकि इससे गौवंशों को संरक्षण मिल सके. कहा जा सकता है कि अगर ऐसा करने में पूरी तरह से कामयाबी मिल जाए तो फिर देशभर में बेसहारा पशुओं की संख्या में भी कमी आएगी. वहीं गायों का दूध उत्पादन बढ़ेगा. लोगों को गायों पौष्टिक दूध पीने को मिलेगा और इससे हर वर्ग को फायदा होगा. इसी कड़ी में पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर परिसर में गौवंश भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशाला की बुनियाद रखी गई है. जहां पर इसी मकसद के तहत काम होंगे.

इस संबंध में पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित द्वारा गौवंश भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशाला और डेयरी उत्पाद विनिर्माण इकाई का शिलान्यास किया गया. इस दौरान तमाम एक्सपर्ट ने इसके फायदों के बारे में जानकारी भी साझा की.

छात्रों को भी मिलेगी अहम जानकारियां
शिलान्यास के मौके पर कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने बताया कि गौवंश भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशाला के स्थापित हो जाने से देशी गौवंश के उन्नयन और संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि इसके सबसे बड़े फायदे में से ये भी है कि दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी संभव हो सकेगी. डेयरी उत्पाद निर्माण इकाई के बन जाने से छ़ात्रों को भी इसका फायदा मिलेगा. छात्रों को डेयरी के विभिन्न प्रोडक्ट के बनाने और बिक्री करने के तरीके को सीखने का अवसर मिलेगा जो कि विद्यार्थियों में उद्यमिता को बढ़ावा देगा. इससे उन्हें फायदा होगा. साथ ही आमजन को भी गुणवत्ता युक्त डेयरी उत्पाद विश्वविद्यालय के माध्यम से उपलब्ध हो पायेंगे.

प्रजनन और उत्पादन को​ मिलेगा बढ़ावा
नोडल अधिकारी ईटीटी प्रयोगशाला प्रो. हेमन्त दाधीच ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वित्तिय सहायता से गौवंश भ्रूण प्रत्यारोपण प्रयोगशाला बनकर तैयार होगी जो कि राज्य में देशी गौवंश प्रजनन एवं उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायक साबित होगी. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वित्तीय सहायता से डेयरी प्रोडक्ट मैन्यूफैक्चरिंग इकाई की स्थापना विश्वविद्यालय में हो रही है जो कि विद्यार्थियों को मिल्क प्रोडक्ट के मूल्य संवर्धन के विभिन्न तरीकों को समझने में सहायक होगी. साथ ही युवाओं और पशुपालकों को दूध उत्पादों के मूल्य संवर्धन विषयों पर प्रशिक्षण भी प्राप्त हो सकेंगे. शिलान्यास कार्यक्रम में निदेशक अनुसंधान प्रो. बी.एन. श्रृंगी, आई.सी.ए.आर. नोडल एवं अधिष्ठाता स्नातकोत्तर अध्ययन प्रो. राजेश कुमार धूड़िया, निदेशक पीएमई प्रो. उर्मिला पानू, परीक्षा नियंत्रक प्रो. मनीषा माथुर, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. पंकज थानवी विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारी शिक्षक उपस्थित रहे.

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