नई दिल्ली. भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आईएयूए) की ओर से “खाद्य और पोषण सुरक्षा और किसान कल्याण विजन इंडिया-2047 और उससे आगे” विषय पर 47वां कुलपतियों का सम्मेलन 17 मार्च 2024 को गुरु अंगद देव वेटरनरी और में शुरू आयोजित किया गया. जहां किसाना और पशुपालकों की सुरक्षा के लिए 8 बिंदुओं पर चर्चा की गई. एक्सपर्ट ने इस दौरान किसान और पशुपालकों की सुरक्षा को लेकर सुझाव भी दिए. ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (टीएएएस), नई दिल्ली के अध्यक्ष और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक, पद्मश्री डॉ. पद्म भूषण डॉ. आरएस परोदा ने भी यहां अपने विचार रखे.
कार्यक्रम की शुरुआत में कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने भारत के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुलपतियों और अन्य अधिकारियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन हमारे देश के कृषि और पशुधन कृषक समुदायों के उत्थान के लिए सिफारिशों और नीतियों का मसौदा तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा. अपने मुख्य भाषण में, डॉ. आर.एस. परोदा ने भारत में हरित, श्वेत, नीली और इंद्रधनुष क्रांतियों के विविध विकासात्मक प्रभाव पर चर्चा की.
किसानों को मिले कम दर पर ऋण
उन्होंने किसानों की सुरक्षा के लिए रणनीतियों का सुझाव दिया, उदाहरण के लिए बताया कि स्वस्थ मिट्टी और अच्छा पानी, इनपुट की समय पर आपूर्ति, अच्छा ज्ञान और कुशल विस्तार सेवाएं, कम दर वाले ऋण तक पहुंच, बेहतर आय के लिए बाजारों से जुड़ना और कृषक समुदायों का सम्मान करना जरूरी है. डॉ. जीएस खुश ने कहा कि हमें विश्वस्तरीय संस्थानों को विकसित करने के लिए उच्च नेतृत्व गुणों और नैतिकता वाले पेशेवरों की भर्ती करनी चाहिए. डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने बताया कि कृषि में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का चलन बढ़ रहा है और भारत में अधिकांश स्टार्टअप कृषि और पशुधन पृष्ठभूमि से हैं.
पशुधन क्षेत्र में हैं कई चुनौतियां
उन्होंने कृषि शिक्षा में डिजिटल पहल की आवश्यकता पर भी जोर दिया. डॉ.रामेश्वर सिंह ने विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों या अन्य निकायों (राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय) को उनके सामान्य हित के मामलों में एक साझा स्थान प्रदान करने में आईएयूए की भूमिका का वर्णन किया. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कृषि और पशुधन क्षेत्रों में कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, विपणन श्रृंखला में बाधा और युवाओं का खेती से अलगाव शामिल है. उद्घाटन सत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों के पांच शोधकर्ताओं को आईएयूए बेस्ट थीसिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
इस विषय पर होगा मंथन
कार्यक्रम के संयोजक और विश्वविद्यालय के डीन पीजीएस डॉ. एस.के. उप्पल ने सभी गणमान्य व्यक्तियों, कुलपतियों, अन्य अधिकारियों और प्रगतिशील किसानों, प्रेस और मीडिया को कार्यक्रम में भाग लेने और अपने इनपुट प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया. आयोजन सचिव डॉ. वाई.पी.एस. मलिक ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालयों के 30 से अधिक कुलपति, कृषि और पशुधन क्षेत्रों के दिग्गज, प्रगतिशील किसानों, पेशेवरों, डीन, निदेशकों और संकाय सदस्यों ने सम्मेलन में भाग लिया. आयोजन सचिव डॉ. एस.पी.एस घुमन ने उल्लेख किया कि वैज्ञानिकों, पेशेवर और अन्य हितधारकों ने “मानव संसाधन और बुनियादी ढांचा”, “जलवायु स्मार्ट खाद्य प्रणाली” और “किसान – उद्यमी – वैज्ञानिक इंटरफ़ेस” विषयों के साथ तीन तकनीकी सत्रों में अपने अनुभव और ज्ञान साझा किए. उन्होंने यह भी बताया कि यह सम्मेलन अगले दो दिनों, 18 और 19 मार्च, 2024 तक जारी रहेगा, जिसमें ‘जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए जैव विविधता और राष्ट्रीय संसाधन संरक्षण’ और ‘शून्य अपशिष्ट की ओर’ पर विचार-मंथन किया जाएगा.
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