नई दिल्ली. देश में लगातार दुग्ध उत्पादन बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि भारत दुनिया में दूधउत्पादन में नंबर बन है. देश के कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी भैंस की 54 फीसदी है. लगातार देश में दूध उत्पादन बढ़ रहा है. मगर, अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि दूध उत्पादन को और कैसे बढ़ाया जाए. अगर ये सवाल बार-बार आपके दिमाग में कौंध रहा है तो इसका जवाब लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के प्लेटफार्म पर आपको मिल जाएगा.
दूग्ध उत्पादन में हिंदुस्तान दुनिया पर राज करता है. देश में कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन के करीब है. यही वजह के दुनिया का कोई भी देश दूध उत्पादन में भारत का मुकाबला नहीं कर सकता. अब भारत दूध उत्पादन को और भी बढ़ाने पर जोर दे रहा है, मगर इसमें सबसे बड़ भूमिका किसानों की है. जब तक किसान नहीं चाहेगा दूध उत्पादन नहीं बढ़ सकता. मगर,किसानों को भी आधुनिक तकनीकी और जानकारी साझा करने की जरूरत है. जब तक उन्हें जानकारी साझा नहीं करेंगे तब तकदूध को नहीं बढ़ाया जा सकता.
ऐसे रखें अपने पशुओं का ध्यान
जैसे-जैसे गर्मी का पारा चढ़ता है वैसे-वैसे दुधारू पशुओं के सामने दिक्कतें खड़ी हो रही हैं. हालात ये हो गए हैं कि हीट वेब के चलते पशु ठीक से चारा भी नहीं खा पा रहे हैं, जिसका असर दूध उत्पादन पर पड़ रहा है. दूध कम होने से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. इस बारे में पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर दुष्यंत यादव ने बताया कि अप्रैल के महीने में करीब दस साल बाद लू जैसी स्थिति देखने को मिल रही है. इस भीषण गर्मी का असर, दूध देने वाले पशुओं पर पड़ रहा है. पशुओं ने दो-तीन लीटर दूध कम देना शुरू कर दिया है. इसे लेकर किसानों के फोन भी आने लगे हैं. इसिलए इस भीषण गर्मीमें पशुपालक अपने पशुओं को दोपहर के वक्त में खुले में न बांधे. पशुओं को ज्यादा से ज्यादा हरा चारा दें. हरे चारे की कटाई भी सुबह के वक्त ही करें. इसे काटने से पहले पानी का छिड़काव कर दें. क्योंकि अधिक धूप होने पर टॉक्सिन बन जाते हैं. इसके लिए खेत में नमी बनाए रखना जरुरी है. धूप में पशुओं को भोजन बिल्कुल नहीं देना चाहिए. पशुओं को हमेशा ताजा पानी ही पिलाएं. जिस स्थान पर पशु निवास कर रहे हैं वहां धूप या गर्मी का असर ज्यादा न हो. अधिक गर्मी की वजह से पशुओं के बीमार होने आशंका बढ़ जाती है.
ओर्गेनाइज्ड पशु पालन करना जरूरी
आज सबसे बड़ी जरूरत किसान को पशुपालन के क्षेत्र में बनाए रखने की है. तीन-चार गाय-भैंस का पालन करने वाले किसान को कुछ बच नहीं पाता है. दूध की कमाई का एक बड़ा हिस्सा चारे में खर्च हो जाता है. बिजली बहुत महंगी हो गई है. यही वजह है कि आज किसान के बच्चे पशुपालन में नहीं आना चाहते हैं. पशुपालन से बेहतर वो नौकरी करना समझते हैं. पशुपालन का एक बड़ा हिस्साा अनर्गेनाइज्ड होने के चलते दूध उत्पादन की लागत ज्यादा आती है. उत्पादन बढ़ाने से दूध की कीमतें भी कम होंगी. प्रति पशु दूध उत्पाादन भी बढ़ाना होगा. खेती संग पशुपालन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए. गोबर का इस्तेनमाल बताया जाए. सस्तात हरा चारा साल के 12 महीने उपलब्ध रहे. ज्याएदा दूध देने वाली नस्लज तैयार की जाएं.
अच्छी नस्ल की पशु
किसान पशु खरीदने से पहले नहीं सोचना कि उसे कौनसा पशु फायदा देगा और कौनसा नुकसान. इसलिए जब भी किसान पशु खरीदें तो नस्ल पर बहुत जोर दें. भैंस हो या गाय, उनकी नस्ल के आधार पर ही खरीदें. जब अच्छी नस्ल का जानवर आपके पास होगा तो वो दूध उत्पादन में भी बहुत अच्छा होगा. इसलिए पशु लेने से पहले किसान किसी एक्सपर्ट से जरूर बात कर लें. अगर बिना सोचे—समझे ही पशु खरीद लिया तो आपको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.
डेयरी शुरू करने से पहले जरूर लें ट्रेनिंग
डेयरी संचालिका कुलदीप कौर बताती हैं कि किसी भी काम को शुरू करने से पहले उसके बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है. अगर कोई डेयरी भी खोलना चाहता है तो उसे इसकी ट्रेनिंग जरूर ले लेनी चाहिए. ट्रेनिंग से तजुर्बा मिलता है और जब आपके पास अनुभव होगा तो कोई भी काम आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता.
फार्म पर ही उगाएं चारा
गगनदीप बताते हैं कि आज के दौर में पशुओं का चारा बहुत महंगा होता जा रहा है. हरा चारा तो कम ही होता जा रहा है. ऐसे में अगर आप अपने फार्म पर ही चारा तैयार करेंगे तो ये मार्केट से बहुत सस्ता पड़ेगा. हमने अपने फार्म पर ही बड़ी मात्रा में चारा उगाया है. इससे हमें बाजार से कम से कम पांच रुपये प्रति किलो की बचत हो रही है. एक बात और अगर आप डेयरी का काम कर रहे हैं तो अपने पशुओं को अपना खुद का चारा दें न कि बाजार का.
कैल्शियम का संतुलन कैसे बनाए रखें?
पशुपालक चेतन स्वरूप कहते हैं कि पशुपालन में सबसे पहली शर्त ही ये है कि पशुओं के लिए चारे का उचित प्रबंधन करना. चाहे सूखा हो या अकाल पड़े पशुओं को तो चारा चाहिए. अगर चारा नहीं मिलेगी तो इसका असर पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ेगा और जब पशुओं का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा तो दूध उत्पादन नहीं होगा, ऐसे में पशुपालकों को सिर्फ आर्थिक नुकसान ही उठाना पड़गा. इसलिए डेयरी पशुओं में कैल्शियम का स्तर बनाए रखना बेहद जरूरी है. अगर सूखे की स्थिति दिख रही है तो किसान या पशुपालकों को पहले से ही सूखे चारे का प्रबंधन या स्टोर करना चाहिए.
पशुओं में ये होने चाहिए तत्व
पशुओं की आवश्यकता को पूरा करने के लिए फास्फोरस, कैल्शियम के साथ अन्य पोषक तत्व और खनिज युक्त भोजन मिलना चाहिए, जो पशुओं को स्वस्थ रख सकें. पानी कैल्शियम और समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए मनुष्यों की तरह से ही पशुओं को साफ और ताजा पानी पीने के लिए देना चाहिए.डॉक्टरों की सहायता से रक्त परीक्षण के माध्यम से समय-समय पर पशु के रक्त में कैल्शियम के स्तर की निगरानी करें. इससे किसी भी कमी या असंतुलन का शीघ्र पता लगाने में मदद मिलती है.
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