नई दिल्ली. गत चार वर्षों के दौरान मात्स्यिकी और डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए सरकारी योजनाओं के तहत मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा उपलब्ध करोड़ों रुपए उपलब्ध कराए गए हैं. सरकार की ओर से मात्स्यिकी क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए मात्स्यिकी एवं जलकृषि अवसंरचना विकास निधि यानि फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इन्फ्रस्ट्रक्चर डेवलेपमेंट फंड (एफआईडीएफ) के तहत 100 से ज्यादा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. बता दें कि देश के 19 राज्यों में सरकार की ओर 136 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. जिससे फिशरीज सेक्टर को मजबूत करने के साथ—साथ मछली पालकों को फायदा पहुंचाने की कोशिश है.
सरकार की ओर से इन योजनाओं को साल 2020-21 से 2024-25 के लिए शुरू किया गया है. यानि चल रहे साल में भी इस योजना का फायदा मछली किसानों को मिलने वाला है. बता दें कि 136 योजनाओं के लिए सरकार की ओर पांच हजार करोड़ रुपए का फंड दिया गया था, जिसमें से तकरीबन चार हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं.
आंध्र प्रदेश के लिए 1396 करोड़ रुपए की व्यवस्था की
आंध्र प्रदेश में 10 परियोजनाएं स्वीकृति गई थीं. जिसके लिए 1396 करोड़ रुपए जारी किए गए थे. इसमें से 653.06 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. अरुणाचल में एक योजना के लिए 0.68 करोड़ रुपए मिले, इसमें से 0.54 खर्च हुआ है. असम के लिए 0.41 रुपए से एक परियोजना को मंजूरी मिली थी. जिसमें से 0.18 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. वहीं गुजरात में पांच परियोजनाओं को सरकार की ओर से मंजूरी दी गई थी. जिसके लिए 1354.92 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई थी. अब तक इन परियोजनाओं में 750 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. इसी तरीके से महाराष्ट्र में 1031 करोड़ रुपए से 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. 770.25 करोड़ यहां पर खर्च किए गए हैं.
सबसे ज्यादा यहां चल रही है योजना
तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 66 परियोजनाओं को सरकार की ओर से मंजूरी दी गई थी. जिसके लिए 1576.08 करोड़ रुपए की व्यवस्था सरकार ने की थी. तमिलनाडु में 66 परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए 1337.81 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. पश्चिम बंगाल में 18 परियोजनाओं के लिए 66.07 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी. जिसमें से 44.00 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. बता दें कि कुल 19 राज्यों में एफआइडीएफ के तहत 136 परियोजनाओं को मंजूरी मिली थी. जिसमें से 5801.06 करोड़ रुपए की योजना की शुरुआत की गई थी. जिसमें से 3858.19 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं.
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