नई दिल्ली. मछली पालन करने वाले पालक को इस काम में सबसे ज्यादा जिस बात का ध्यान रखना चाहिए वो है तालाब के पानी की सफाई. एक्सपर्ट कहते हैं कि तालाब के पानी को साफ रखने के लिए बहुत ज्यादा ऐहतियात बरतना चाहिए. खासतौर पर बरसात के दौरान पानी को प्रदूषित होने से बचाना बेहद अहम होता है. क्योंकि मछली पालन का मुनाफा इसी बात पर टिका भी होता है कि आपका तालाब कितना साफ है. इस बात पर ध्यान दें कि पानी की तरफ की गई जरा से भी अनदेखी मछली पालक को बड़ा नुकसान पहुंचा देगी. क्योंकि प्रदूषित पानी से मछली में कई तरह की बीमारी होना आम है. इतना ही नहीं पानी में कई ऐसे जीव-जन्तु पैदा हो जाते हैं जो मछलियों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे आपके कारोबार पर असर पड़ेगा. वहीं पानी में प्रदूषण बढ़ने से ऑक्सीजन की कमी भी होने लगती है.
कम खर्च में पल जाती हैं ज्यादा मछलियां
गौरतलब है कि मछली पालन जलकृषि के नाम से भी जाना जाता है, यही वजह है कि मछली पालन में ये पानी बहुत महत्व रखता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि नदी-समुंद्र में मछलियां खुद से तो पलती ही हैं. जबकि इसके अलावा तीन और तरीके से मछलियों को पालकर भी मुनाफा कमाया जा सकता है. मछली को जाल लगाकर, घर-खेत में टैंक बनाकर और तालाब खोदकर पाला जाता है. इसमें सबसे अच्छा विकल्प तालाब में मछली पालन है. क्योंकि कम खर्च में ज्यादा मछलियां पाली जा सकती हैं. जबकि तालाब में मछलियों की देखभाल भी अच्छी तरह से की जा सकती है. अगर देखभाल सही तरीके से की जाए तो मछलियों में बीमारी भी कम होती है.
तालाब पर पड़ी चाहिए सीधी धूप
वहीं मछलियों का उत्पादन मौसम पर बहुत हद तक निर्भर करता है. बारिश के पानी से तालाब में अक्सर संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. इसके संक्रमण से तालाब की एक-एक कर सभी मछलियों संक्रमित हो जाती हैं. मछली एक्सपर्ट राहुल कुमार कहते हैं कि मछली पालन के लिए तैयार किए गए टैंक या तालाब ऐसी जगह पर हो जहां पर सूरज की सीधी धूप पड़नी चाहिए. यदि ऐसा होगा तो पानी में सीप और घोंघे आदि जीव-जन्तु नहीं पनपेंगे. बरसात के दौरान मछलियों को मांसाहारी जीव-जन्तु से बचाने के लिए तालाब में जाल का इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प है. जबकि एक्सपर्ट कहते हैं कि पानी में दवा का छिड़काव करते रहना चाहिए.
इस वजह से ऑक्सीजन लेवल हो जाता है कम
बारिश के मौसम में पानी में प्रदूषण होना सामान्य है. जिसके चलते मॉनसून के दौरान तालाब के पानी में ऑक्सीजन की लेवल बहुत कम हो जाता है. दिक्कत ये होती है कि इससे मछली पालक को कई बार बड़ा नुकसान उठाना पड़ जाता है. ऑक्सीजन की कमी की वजह से मछलियां मरने लग जाती हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि वक्त-वक्त पर उपकरण की मदद से पानी का ऑक्सीजन और पीएच लेवल जांचना चाहिए. अगर ऑक्सीजन की कमी ज्यादा है तो मशीनों की मदद से ऑक्सीजन पानी में छोड़ना चाहिए.
सर्दी-गर्मी में रखना पड़ता है ख्याल
मछली पालक शरीफ कहते हैं कि गर्मी और सर्दी में तालाब और टैंक के पानी का खासतौर पर ध्यान देना पड़ता है. क्योंकि सर्दी है तो तालाब और टैंक के पानी को ज्यादा ठंडा होने पर नुकसान होगा. सुबह-शाम मोटर चलाकर ताजा पानी को मिलाकर तालाब के पानी को सामान्य कर देना चाहिए. इसी तरह से गर्मी में ताजा पानी चलाकर उसकी गर्माहट को कम करना चाहिए. इसके लिए तालाब के पास पानी की बड़ी मोटर का इंतजाम करना बेहतर विकल्प है.
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