नई दिल्ली. मछली पालन के लिए गर्मी का महीना बेहद ही अहम होता है. वहीं गर्मी का मौसम तालाब में गोबर डालने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है. क्योंकि ठंड के दिनों में इसका इस्तेमाल करने से तालाब में अमोनियम गैस बन जाती है. जिससे मछलियों की मौत भी हो जाती है. इसलिए सही समय पर सही मात्रा में गोबर का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है. अगर आप चाहते हैं कि सही समय पर गोबर का इस्तेमाल तालाब में करें तो यही वक्त बिलकुल सही है. अभी आप तालाब में गोबर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि तालाब में कई किसान गोबर और खाद डालकर प्लैंक्टन बनाने से घबराते हैं. जबकि घबराना नहीं चाहिए. दरअसल, उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि कहीं ज्यादा खाद और गोबर डालने से तालाब में ऑक्सीजन की मात्रा कम ना हो जाए, या फिर इससे अमोनिया ना बन जाए जिससे मछलियों की मौत हो जाती है. इसी डर की वजह से कई मछली पालक तालाब में प्लैंक्टन नहीं बनाते हैं. इससे मछलियों को बढ़ने में 2 साल तक का समय लग जाता है. जबकि फायदा तब होगा जब मछलियां जल्दी-जल्दी बढ़ेंगी और इसे बेचा जाएगा.
इस पाउडर से बनाए प्लैंक्टन
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि तालाब में प्लैंक्टन बनाना बेहद ही जरूरी है. क्योंकि यह मछलियों के लिए नेचुरल फीड होता है और उनकी ग्रोथ को तेज करता है. अगर आप गोबर या खाद का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो प्लैंक्टन बनाने वाले पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं. कई कंपनियां ऐसी हैं जो प्लैंक्टन बनाने वाला पाउडर बेचती हैं और आपको वह इसका इस्तेमाल करने का तरीका भी बताती हैं. अगर आप इसका इस्तेमाल तालाब में करते हैं तो नेचुरल तरीके से प्लैंक्टन बनाने में आपको कामयाबी मिल जाएगी. अगर इस पाउडर का इस्तेमाल आप करते हैं तो जो प्लैंक्टन बनेगा वह 30 दिनों तक रहता है. जबकि यह इतने दिनों तक मछलियों का चारा बना रहेगा. इसलिए हर 30 दिन में एक बार प्लैंक्टन पाउडर तालाब में डालना चाहिए.
कितना डालना चाहिए पाउडर
एक्सपर्ट का कहना है कि तालाब के लिए 10 किलो प्लैंक्टन पाउडर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अगर आप मछली को तेजी से बढ़ाना चाहते हैं और ठंड से पहले मार्केट की साइज का तैयार करना चाहते हैं तो तालाब में प्लैंक्टन बनाना ही होगा. बिना प्लैंक्टन के कत्ला, सिल्वर कार्प जैसी मछलियां कभी भी सही से ग्रोथ नहीं हासिल कर पाती हैं. इसलिए आप मछलियों की ग्रोथ अच्छी चाहते हैं तो तालाब में प्लैंक्टन बनाना न भूलें. वहीं आप चाहें तो तालाब के किनारे केले के पेड़ भी लगा सकते हैं. इससे भी मछलियों को नेचुरल फीड मिलता है.
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