नई दिल्ली. मछली पालन से जहां फिश फार्मर हर साल 5 से 6 लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं. अगर वह कुछ बातों का ख्याल रखें तो इससे उनकी कमाई और ज्यादा बढ़ सकती है. मसलन, तालाब में ऐसी मछलियों का पालन करें जो नेचुरल फीड का भी इस्तेमाल करती हैं, तो इससे काफी हद तक फीड का खर्चा कम होगा. जिससे फिश फार्मिंग में आने वाली लागत काफी हद तक कम होगी. वहीं फिश फार्मर्स को ज्यादा मुनाफा भी मिलने लगेगा. एक्सपर्ट की राय मानें तो मछली पालन में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए नेचुरल फीड खाने वाली मछलियों को तालाब में जरूर पालना चाहिए.
प्राकृतिक भोजन की बात की जाए तो तालाब में यह स्वाभाविक तौर पर मिलता ही है. इसमें डिट्रिटस, बैक्टीरिया, प्लवक, कीड़े, कीट, घोंघे और जालीय पौधे भी शामिल होते हैं. इसके अलावा इसमें छोटी मछलियों को भी शामिल किया जाता है. जिनको खाकर मछलियां अपना पेट भरती हैं. इस वजह से फिश फार्मर को उन्हें दूसरे तरह के फीड कम डालने की जरूरत पड़ती है. इससे फीड पर आने वाली लागत कम हो जाती है और मुनाफा बढ़ जाता है.
सप्लीमेंट फीड भी दिया जाता है
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि नेचुरल फीड मछली की वृद्धि में 25 फीसदी तक का योगदान देता है. इसलिए ये अहम होता है. हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ नेचुरल फीड से ही मछलियों का पेट भरा जा सकता है और उनकी तमाम पोषण की ज़रूरतें पूरी हो सकती हैं. इसके लिए पूरक आहार भी देना पड़ता है. मछली पालन में नेचुरल फीड के साथ-साथ पूरक आहार का भी रोल अहम माना जाता है. नेचुरल फीड के अलावा गाय—भैंस के गोबर से तैयार किया गया, देसी खाना भी मछलियों को दिया जा सकता है. जिससे उनकी ग्रोथ तेजी से होती है. मछलियों का उत्पादन भी बढ़ता है.
आप इन मछलियों को पाल सकते हैं
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि जो आईएमसी मछलियां होती हैं, जिन्हें इंडियन मेजर कॉर्प मछलियां कहा जाता है, या तिलापिया मछली. इन मछलियों की यह खासियत है कि ये तालाब में पैदा होने वाले नेचुरल फीड को इस्तेमाल करती हैं और इससे उनकी ग्रोथ तेजी से बढ़ती है. जबकि पंगेसियस मछली और मांगुर मछली नेचुरल फीड को नहीं खाती है. इसलिए इन्हें कमर्शियल फीड ही दिया जाता है. अगर आप चाहते हैं कि मछलियां नेचुरल फीड का भी इस्तेमाल करें तो आप इंडियन मेजर कार्प और तिलापिया मछलियों को पाल सकते हैं. इससे आपको मछली पालन में ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा.
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