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Poultry Farming: गर्मी में इस बीमारी की वजह से अंडा कम देने लगती हैं मुर्गियां, पढ़ें बचाव के तरीके

फाउल पॉक्स से बीमारी मुर्गी की तस्वीर.

नई दिल्ली. मुर्गियों को फाउल पॉक्स बीमारी साल भर में कभी भी हो सकती है लेकिन ज्यादातर यह बीमारी गर्मी की दिनों में होती है. इस बीमारी की वजह से एक से लेकर 5 फीसद तक मुर्गियों में मृत्यु दर दिखाई देती है. यानी आपके पास 100 मुर्गियां हैं तो एक से पांच मुर्गियों की मौत हो सकती है. भले ही इस बीमारी में मृत्युदर कम है लेकिन अगर फॉर्म के अंदर मुर्गियों की मौत होती है तो इससे आपको कहीं ना कहीं नुकसान होता ही है. इस बीमारी का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इस बीमारी में मुर्गियों का वजन बेहद कम हो जाता है और इससे उत्पादन पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है.

पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि अगर मुर्गियां कम अंडों का उत्पादन कर रही हैं तो इससे नुकसान होता है. यह एक वायरल इंफेक्शन है. अगर ये बीमारी एक मुर्गी में हो गई तो बाकी अन्य मुर्गियों में भी हो सकती है. इसलिए समय पर बचाव करना बेहद ही जरूरी है.

क्या है इस बीमारी के लक्षण
पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो इसके लक्षणों में से पहला लक्षण यह है कि मुर्गियों की बॉडी में फोड़ा नजर आता है. यानी जख्म दिखाई देता है. आमतौर पर मुर्गियों के फेस के आसपास पैरों पर जख्म दिखाई देता है. खास तौर पर आंखों की पलकों पर भी यह जख्म दिखाई देगा और यह बीमारी छोटे बड़ी सभी मुर्गियों में होती है. अगर आप चाहते हैं कि आपकी मुर्गियों में यह बीमारी ना आए तो समय पर फाउल पॉक्स से बचाने के लिए आने वाली वैक्सीन को मुर्गियों को लगाना होगा. तभी इस बीमारी से बचाव संभव है. बता दें कि फाउल पॉक्स की वैक्सीन 35 से 40 दिन के दरमियान लगाया जाता है.

इस तरह करें फाउल पॉक्स का इलाज
अगर आपके फॉर्म पर यह बीमारी आ गई है तो उसे कैसे ठीक किया जाए ये जानना जरूरी है. सबसे पहले तो जो-जो मुर्गियां बीमार हैं उन्हें बाकी स्वस्थ मुर्गियों से अलग कर देना चाहिए. वहीं इसकी दवा भी आती है. जिससे इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है. इसके लिए होम्योपैथिक और एलोपैथिक दोनों दवाएं आती हैं. होम्योपैथी दवा मेडिकल शॉप या एलोपैथी दवा वेटरिनरी शॉप पर मिल जाती है. होम्योपैथी दवा लाते हैं तो छोटी 100 मुर्गियों को 3 से लेकर 5 एमएल तक दवा एक बाल्टी पानी में मिलाकर दी जाती है. इससे बड़ी मुर्गियां हैं 5एमएल से ज्यादा दवा एक बाल्टी के पानी में इस्तेमाल करना चाहिए.

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