नई दिल्ली. गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है. अभी अप्रैल महीने की शुरुआत है और पारा तेजी से चढ़ रहा है. आने वाले मई के महीने में पशुओं के चारागाह भी सूखे की मार झेल सकते हैं. जिन पशुपालकों ने पहले से तैयारी की है उनके पास हरे चारे की कमी नहीं है, लेकिन जिन्होंने नहीं की उनके पास कमी हो सकती है. हम यहां बात कर रहे हैं जायद फसलों की, जिन्हें ग्रीष्मकालीन फसलें भी कहा जाता है, इसलिए इन्हें मार्च और जून के बीच बोया और काटा जाता है. आइए इन्हीं फसलों के बारे में यहां जानते हैं.
हरा चारा के लिए जायद बाजरा की बुवाई अप्रैल मध्य या आखिरी सप्ताह तक की जाती है. सबसे बेहतर समय अप्रैल मध्य है. इस चारा फसल में 10-12 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए. बाजरे की फसल मई में काटने योग्य हो जाती है. इसलिए बुवाई के 50-60 दिन बाद कटाई करनी चाहिए. बहुकटान वाली किस्मों में प्रथम कटाई 40-45 दिन पर करें. बाद में प्रत्येक कटाई 30-35 दिन के अंतराल पर करें. जायद बाजरा से हरे चारे की उपज 400-550 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है.
कम सिंचाई की होती है जरूरतः ग्वार की फसल एक ऐसी फसल है, जो पशु चारे के लिए कम मेहनत में लगाई जाती है. क्योंकि बाजारा के मुकाबले ग्वार को कम सिंचाई की आवश्यकता रहती है. जायद में इस फसल में 3-4 सिंचाई की जरूरत पड़ती है. इतने समय में ही ये पशुओं के लिए तैयार हो जाती है और पशुपालक इन्हें पशुओं के सामने परोस सकते हैं. इस फसल की कटाई की बात करें तो बुवाई के 60-75 दिन पर 50 प्रतिशत पुष्प अवस्था पर करनी चाहिए. इस प्रकार ग्वार से 300-350 क्विंटल हरा चारा प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है.
चारागाह, वृक्ष एवं झाड़ी के लिए क्या करेंः चारागाह भूमि में जहां पर भी नई घास लगानी है, उस क्षेत्र की तारबंदी जरूर कर लें. बहुवर्षीय घासों के लिए खेत तैयार करके रखें, ताकि बारिश शुरू होते ही रोपाई की जा सके. इसलिए एक से डेढ़ महीने पहले नर्सरी तैयार कर लें. अप्रैल से जून माह तक का समय तेज गर्मी और आंधियों का होता है. गर्मियों के मौसम में बहुवर्षीय वृक्षों में पानी देने से अच्छी बढ़ाई होती है और अधिक हरी पत्तियां प्राप्त होती हैं. इसलिए पेड़ों के चारों तरफ थाले बनाकर समय-समय पर पानी देते रहें.
ध्यान से करते रहें सिंचाई: नर्सरी में पौधाें और घास के पौध का ध्यान रखें और लगातार सिंचाई करते रहें. बारिश में पौधरोपण करने के लिए मई माह में गड्ढे खोदकर तैयार रखने चाहिए ताकि सूर्य के विकिरण से गड्डे की मिट्टी में रोग व कीड़ों का नाश हो जाता है. जून माह में पौधरोपण के लिए तैयार गड्डे को गोबर की खाद या कम्पोस्ट को मिट्टी के साथ मिलाकर भर दें. गड्ढे भरते समय दीमक की रोकथाम के लिए कीटनाशी दवाई भी मिला देनी चाहिए. गड्ढे भरकर तैयार रखने से बारिश होते ही पौधरोपण आसानी से किया जा सकता है.
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