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Animal Faming: कैसे भेड़-बकरी और खरगोश पालें, यहां से ट्रेनिंग लेकर अपनी इनकम करिए डबल

इस समय में अच्छे चारागाह की कमी और खेती की जमीन की तारबन्दी होने से चराई आधारित तरीके मे बदलाव की सख्त जरुरत है.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. आजकल गेहूं, सरसों, धान की फसलों के साथ देश में किसान भेड़, बकरी और खरगोश पालन में भी अपनी कमाई कर रहे हैं. किसान छोटे पशुपालन से अच्छी आमदनी कर सकते हैं. अगर आप भी इन छोटे पशुओं को पालने की प्लानिंग कर रहे हैं तो राजस्थान में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान ने आठ दिन का एक ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है. इस राष्ट्रीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में भेड़, बकरी और खरगोश को पालने के लिए किन तरीकों की जरुरत है, ये आप जान सकते हैं. भेड़−बकरी पालन में एक से डेढ़ साल के अंदर आप अपनी इनकम की शुरुआत भी कर सकते हैं.


अगर आप भी भेड़, बकरी और खरगोश पालन में दिलचस्पी रखते हैं और छोटी जगह में इनकी अच्छी देखभाल कैसे की जा सकती है, तो ये जानकारी आपके लिए है. अभी वर्तमान समय मे छोटे पशुओं को स्टॉल फीड से पाल कर अच्छी इनकम की जा सकती है. क्योंकि इस समय में अच्छे चारागाह की कमी और खेती की जमीन की तारबन्दी होने से चराई आधारित तरीके मे बदलाव की सख्त जरुरत है. इसलिए पशुपालक अब अच्छे पशुओं की नस्ल चुनकर बेहतर आवास, खानपान, हेल्थ और चरागाह विकास के साथ विभिन्न वर्ष भर मौसम आधारित सावधानी रखकर ही आमदनी कर सकते है. मांस प्रोडेक्शन के लिए छोटे पशुओं भेड़, बकरी और खरगोश कम से कम संसाधनों में पाले जा सकते हैं.

भेड़-बकरी और खरगोश पालन की जानकारी: 16वें राष्ट्रीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में निदेशक डॉक्टर अरुण कुमार ने यहां आए सभी पशुपालक किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से भेड़-बकरी और खरगोश पालन की जानकारी दी. सभी पशुपालक किसानों को से बात करते हुए डायरेक्टर ने बताया कि अपने भेड़-बकरी और खरगोश पालन के उदेश्य को पूरा करने के लिए ट्रेनिंग में अच्छे से सुनकर और साइंटिस्टों से बातचीत कर सीख सकते हैं. उन्हें पालने के लिए किस तरह की फीड की जरुरत होती है, बाड़े में कितने समय तक उन्हें रखना है. हरे चारे को कब और कितना देना है, इस जानकारी के साथ उनकी देखभाल और सेहत के बारे में पूरी डिटेल ले सकेंगे.


ये रहे मौजूद: इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में डॉक्टर सुरेश चंद शर्मा, डॉक्टर सत्यवीर सिंह डागी ने किसानों के साथ कॉर्डिनेट किया. डॉक्टर रणधीर सिंह भट्ट, डॉक्टर जी गणेश सोनावणे, डॉक्टर अजय कुमार, डॉक्टर लीला राम गुर्जर, डॉक्टर अरविन्द सोनी और डॉक्टर अमरसिंह मीना ने ट्रेनिंग मे भाग ले रहे राजस्थान के किसानों को अन्य जानकारियां दीं.

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