नई दिल्ली. बकरी पालन इस मायने में बेहतरीन बिजनेस है कि इसे कम लागत और कम जगह पर आसानी के साथ किया जा सकता है. गौरतलब है कि बकरी को गरीबों की गाय इसी वजह से कहा जाता है. अभी भी ग्रामीण परिवेश में बहुत से किसान अपने घर में एक दो बकरी जरूर पलते हैं. जब उन्हें पैसों की जरूरत पड़ती है तो इन्हें बेचकर इंतजाम कर लेते हैं. हालांकि सरकार चाहती है कि किसान बकरी पालन को व्यवस्थित ढंग से करें ताकि उन्हें इससे इनकम भी हो. पशुपालन को बढ़ावा देने की कतार में सरकार बकरी पालन को भी बढ़ावा देने का काम कर रही है.
पशुपालन और डेयरी विभाग की ओर से बकरियों की ब्रीड्स को लेकर एक पोस्ट सोशल मीडिया शेयर किया है. विभाग की ओर से बताया गया है कि अगर कोई किसान बकरी पालन करना चाहता है तो उसे पहले यह तय करना चाहिए कि उसे बकरी पालन किस लिए करना है. अगर वो दूध उत्पादन के लिए बकरी पालन कर रहा है तो अलग नस्ल की बकरी का चुनाव करना पड़ेगा. जबकि मीट के लिए पालन कर रहा है तो अलग नस्ल की बकरी का चयन करना चाहिए. अगर इस तरह से किसान बकरी पालन करते हैं तो उन्हें ज्यादा उत्पादन मिलेगा और इससे बेहतर मुनाफा होगा. इस आर्टिकल में हम आपको कुछ बकरियों की खास नस्लों के बारे में बताने जा रहे हैं और उन्हें किस लिए पालना है दूध या मीट के लिए ये भी यहां बताएंगे.
बकरियों की अच्छी नस्लें
जमुनापारी: यूपी के मथुरा, एटा, इटावा और उसके आसपास के इलाकों में बकरी की ये नस्ल मिलती है. इस नस्ल की बकरी दूध और मांस दोनों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. लंबे कान वाली ये बकरी दो से 2.5 ढाई लीटर दूध रोजाना देती है. इसे बकरी की सबसे अच्छी नस्ल कहा जाता है.
बीटल बकरी: इस नस्ल की बकरियां पंजाब, फिरोजपुर के आसपास मिलती हैं. इस नस्ल की बकरियों को दूध और मीट दोनों के पाला जाता है. ये 12 से 18 महीने के बीच पहली बार बच्चे को जन्म देती है. इनकी नस्ल बेहद प्रचलित है.
बरबरी बकरी: यूपी में पाई जाने वाली बकरी के ये नस्ल फिरोजाबाद, अलीगढ़, एटा और आगरा जैसे जिलों में मिलती है. इसका पालन मीट के लिए किया जाता है. नली की तरह कान लिए इस नस्ल का पालन दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों के लिए अच्छी मानी जाती है.
सिरोही बकरी: राजस्थान के सिरोही, अजमेर, बांसवाड़ा, राजसमंद और उदयपुर के क्षेत्रों में सिरोही बकरी का पालन बड़े पैमाने पर होता है. ये नस्ल दूध और मीट दोनों के लिए काम आती है. ये बकरी डेढ़ से दो साल के बीच पहलीबार बच्चा पैदा करती है.
ओस्मानाबादी: ये बकरियां मीट के लिए ही पाली जाती हैं. महाराष्ट्र, अहमदनगर और सोलापुर जैसे जिलों में इस नस्ल का पालन होता है. काले रंग ये बकरी साल में दो बार बच्चे देती है. इनके मीट की बहुत मांग है.
ब्लैक बंगाल: इस नस्ल की बकरी का पालन मीट के लिए किया जाता है. झारखंड, असम, मेघालय, दक्षिण और पश्चिमी बंगाल, बिहार और त्रिपुरा में इसको पाला जाता है. इस बकरी की खासियत होती है कि इसके पैर छोटे होते हैं और रंग काला होता है.











