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Poultry Farming: खुले में पाली जाने वाली मुर्गियों की हेल्थ का किस तरह रखें ख्याल, जानें यहां

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केज में पाली जा रही हैं मुर्गियां. live stock animal news

नई दिल्ली. ग्रामीण इलाकों में मुर्गियों को कमरे में बंद करने की बजाय खुले में रखा जाता है. यहां पाले जाने वाले मुर्गे और मुर्गियां अपनी मर्जी से दौड़ भाग सकती हैं. पिंजरे में बंद होने की बजाय आजादी से घूमने वाली मुर्गियां एक बंद खलिहान में स्वतंत्र रूप से घूमती हैं. इसी को मुक्त क्षेत्र पालन कहा जाता है. दिनभर खलिहान में घूमकर अपना भोजन तलाशती हैं और फिर शाम को मुर्गी पालक उन्हें दड़बे में बंद कर देते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि मुक्त क्षेत्र में पलने वाली मुर्गियों को भी खास देखभाल की जरूरत होती है. अगर ऐसा नहीं किया जाए तो फिर वो बीमार हो सकती हैं और प्रोडक्शन पर भी असर पड़ता है.

इन मुर्गियों की देखभाल से मतलब ये है कि उनकी सेहत का खास ख्याल रखा जाए. उन्हें बीमार न होने दिया जाए. अगर बीमार हुईं तो फिर परेशानी आ खड़ी होती है. कई तरह के रोग लगने का खतरा मुक्त क्षेत्र में पाली जाने वाली मुर्गियों को होती है. आइए इसके बारे में डिटेल से जानते हैं.

स्वास्थ्य देखभाल कैसे करें
मुक्त-क्षेत्र पालन के अंतर्गत मुर्गियों को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण रोग न्यूकैसल रोग है. तमाम परिवारों के झुंड के बीच संपर्क ही रोग प्रसार के महत्वपूर्ण स्रोत है. रात्रि आश्रय में अच्छा वातायन और प्रकाश होना चाहिए ताकि परभक्षियों से पक्षियों को संरक्षण मिल सके. रात आश्रय के लिए लकड़ी और बांस का उपयोग, बाहरी परजीवियों को छिपने के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान करता है. प्रर्याप्त मात्रा में पक्षियों को स्वच्छ और ताजे जल की उपलब्धता, जीवनभर होनी आवश्यक है. चूंकि चूजे मुक्त-क्षेत्र में विचरण करते हैं, इसलिए परजीवी संक्रमण की संभावना होती है. इसलिए, 2 से 3 महीने के अंतराल पर आवधिक ?डीवार्मिंग आवश्यक है.

वनराज का बढ़ जाता है प्रोडक्शन
मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों के तहत वयस्क वनराजा को रानीखेत रोग के विरुद्ध 6 महीने के अंतराल पर टीका लगाया जाना चाहिए. विशेषकर गर्मियों की शुरुआत से पहले होना चाहिए. चूंकि, देशी पक्षियों से वनराजा में रोग संचरण होने की सम्भावना है इसलिये वनराजा के साथ देशी पक्षियों के टीकाकरण की सिफारिश की गई है. वनराज के नर कम-घनत्व वाले खाद्य पर लगभग 10 से 12 सप्ताह की आयु में अनुकूलतम शरीर भार प्राप्त कर खाने योग्य हो जाते हैं. वनराजा के मादा पक्षी मुक्त-क्षेत्र परिस्थितियों के तहत प्रति वर्ष 110 अंडे तक देते हैं. पूरक अनाज खिलाने के साथ मुक्त क्षेत्र संमार्जक परिस्थितियों के तहत मादाओं का पालन करना लाभप्रद होता है.

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