नई दिल्ली. झींगा किसानों को फायदा पहुंचाने की नीयत से अब फ्रोजन झींगा घरेलू बाजार में भी उतर जाएगा. जहां एक्सपोर्ट से इस व्यापार ने खूब नाम और पैसा कमाया है तो वहीं अब उत्पादन के 30 फ़ीसदी हिस्से को देश में ही बाजार देने की कोशिश की जा रही है. एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसा होते ही झींगा किसानों पर पैसों की बारिश होना संभव दिखाई देता है. दरअसल, अभी तक झींगा उत्पादन पूरी तरह से एक्सपोर्ट पर ही निर्भर है. मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की दी गई जानकारी को मानें तो 35000 करोड़ रुपए वाले सीफूड एक्सपोर्ट में 70 फ़ीसदी हिस्सेदारी झींगा की है.
जबकि पिछले दिनों मंत्रालय ने एक आंकड़ा जारी किया था, जिसमें यह कहा गया कि झींगा का एक्सपोर्ट 233 फ़ीसदी तक बढ़ गया है. केंद्र सरकार ने मत्स्य और पशुपालन मंत्रालय का बजट भी बढ़ाया था. इसके पीछे मछली पालन करने और मछली पकड़ने वालों को तमाम तरह की सुविधा देना मकसद था. सीफूड एक्सपोर्ट को और बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय सागर परिक्रमा फेज 3 का आयोजन भी कर रहा है.
यही वजह है कि गुजरे कुछ महीने में मत्स्य और पशुपालन मंत्रालय की ओर से सीफूड कारोबार से जुड़े लोगों के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया गया था. जिसमें झींगा के साथ ही फ्रोजन फिश का घरेलू बाजार में तैयार करने पर भी चर्चा की गई. झींगा एक्सपर्ट और झिंगालाल फूड चेन के संचालक डॉक्टर मनोज शर्मा का कहना है कि तीन लाख टन झींगा को हमारे 140 करोड़ की आबादी वाले देश में ग्राहक ही नहीं मिल पा रहा है.
जबकि देश में करीब 160 लाख टन मछली खाई जाती है. देश के बाजार में दो हजार रुपये किलो तक की मछली भी खूब बिकती है. जबकि झींगा तो सिर्फ 350 रुपए किलो ही मार्केट में उपलब्ध है. जबकि 200 से ढाई सौ रुपए तक रेड मीट भी लोग खा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर देश में तीन से चार लाख टन झींगा भी खपत हो जाए तो भारत झींगा के मामले में विश्व में नंबर वन बन सकता है.
उन्होंने बताया की जरूरत बस इतनी भर है कि देश के दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़ और बेंगलुरु आदि शहर में भी झींगा का प्रचार किया जाए तो इसकी खपत बढ़ जाएगी. जबकि यूपी और राजस्थान तो विदेशी पर्यटकों के मामले में बहुत अमीर हैं वहां तो और भी ज्यादा संभावनाएं हैं. बता दे कि देश में करीब 10 लाख तन झींगा का उत्पादन होता है. इसमें से 7 लाख टन झींगा एक्सपोर्ट हो जाता है. साल 2003-04 से लेकर 2013-14 तक फ्रोजन झींगा का एक्सपोर्ट 72 हजार करोड़ रुपए का हुआ था. वहीं साल 2014-15 से लेकर 2021-22 तक फ्रोजन झींगा 2.39 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट किया गया.
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