नई दिल्ली. हर दिन लाखों लोग रेड मीट का सेवन करते हैं. खासतौर पर बफैलो मीट में ज्यादा खाया जाने वाला मीट है. जबकि बफैलो की कटिंग स्लाटर हाउस पर होती है. इसके कुछ नियम कायदे हैं लेकिन सवाल ये है कि क्या इन निमयों का पालन किया जा रहा है? जब आप इसका जवाब तलाशेंगे तो पता चलेगा कि नहीं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. संदीप पहल का कहना है कि कहीं भी सरकारों द्वारा बनाए गए नियमों का पालन नहीं हो रहा है, जो खतरनाक है.
दरअसल, सरकार की ओर से जो नियम बनाए गए हैं, वो जनता की सेहत को ध्यान में रखते हुए. अगर नियमों का पालन नहीं हो रहा है तो फिर मीट फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान पहुंचा रहा है. आइए कुछ नियमों पर नजर डालते हैं.
क्या-क्या हैं नियम, पढ़ें यहां
- स्लॉटर हाउस में जानवरों को काटने से पहले और बाद में मेडिकल जांच वेटरनरी डॉक्टर से कराना अनिवार्य है लेकिन ऐसा ना के बराबर ही होता है.
- सुप्रीम कोर्ट के वकील और आरटीआई एक्टिविस्ट डाॅ. संदीप पहल कहते हैं कि प्रदेश और केंद्र सरकार के करीब एक दर्जन विभागों से स्लॉटर हाउस की परमिशन लेना और उनके नियमों का पालन करना होता है.
- “अवैध तो छोड़िए, देश में जो वैध स्लॉटर हाउस हैं उनमें से चुनिंदा ही हैं जो इन पैमानों पर खरा उतर सकते हैं. जानवरों के सामने ही दूसरे जानवर को काटा जाता है, इससे केमिकल इम्बैलेंस होता है.
- स्लॉटर हाउस के लिए एक से दो हजार जानवर रोज मारने का लाइसेंस ले लिया जाता है, लेकिन ये हो नहीं पाता. ऐसे में दूरदराज के गांव में स्थित अवैध स्लॉटर हाउस से कटे जानवर आ जाते हैं और फिर उनका मांस पैक कर बाजार में भेज दिया जाता है.”
- वहीं, खून के लिए ट्रीटमेंट प्लांट का नियम है लेकिन पानी के साथ खुली नाली में ही उसे बहा देते हैं। इससे पानी पॉल्यूटेड हो रहा है.
- 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध बूचड़खाने बंद करने का आदेश कृष्ण कांत सिंह की पिटीशन पर दिया था.
- पशुवध प्रतिरोध आंदोलन के संयोजक सिंह कहते हैं कि जब मैंने 2013 में पिटीशन लगाई थी, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई जगहों पर ऐसी स्थिति थी कि आप वहां खड़े भी नहीं हो सकते थे.
- “लाइसेंस वाले भी गलत काम कर रहे हैं. वेस्ट यूपी में मैक्सिमम 5 फीसदी बफैलो वैध तरीके से काटा जाता है.”
12 विभागों से परमिशन लेने का है नियम
- मीरा एक्सपोर्ट के डायरेक्टर और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की मीट एंड मीट प्रोडक्ट्स कमेटी के चेयरमैन डॉ. सुरेंद्र कुमार रंजन के मुताबिक स्लॉटर हाउस के लिए करीब 12 विभागों से परमिशन लेनी होती है.
- “जो एक्सपोर्ट नहीं भी कर रहे हैं उन्हें बीआईएस के करीब 60 नियमों और तमाम सरकारी एजेंसियों से मंजूरी लेनी होती है, इनकी संख्या भी सौ के करीब पहुंच जाती है. अकेले ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े ही 12 से अधिक नियम हैं.”
- “12वीं पंचवर्षीय योजना में दुकानों के आधुनिकीकरण के लिए पांच लाख रुपए ग्रांट देने की बात थी, लेकिन यह नहीं हो पाया. सरकार दे तो बेहतर होगा.”
- वहीं मीट एक्सपोर्ट कारोबार से जुड़े और एक्सपर्ट फरहद हसन ने कहा कि ज्यादातर एक्सपोर्टर सरकार के सभी नियमों का पालन करते हैं.
- “अवैध स्लॉटर हाउस तो बंद ही होना चाहिए. चूंकि यह खाने की वस्तु है, इसलिए इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए.”
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