नई दिल्ली. बकरे के मीट की डिमांड सालभर रहती है. जबकि बकरीद जैसे त्योहार के मौके पर तो इसके दाम आसमान पर पहुंच जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि बकरे अगर पाले जाएं तो सालभर मुनाफा कमाया जा सकता है. क्योंकि बाजार में बकरे के मीट की डिमांड सालभर बनी रहती है. जबकि ये बहुत महंगा भी बिकता है. आपको यहां ये भी बताते चलें कि भारत में महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल बकरों के दो बड़े बाजार हैं. जबकि अच्छे और प्योर नस्लं के जिंदा बकरे अरब देशों तक एक्सपोर्ट किए जाते हैं. जानकार कहते हैं कि पशु पालक अगर बाजार की डिमांड के हिसाब से बकरी पालन करे तो मोटा मुनाफा कमा सकता है.
बताते चलें कि बकरी पालन करने वालों को ये पता होना चाहिए कि देश में कौन-कौन सी नस्ल के बकरे हैं जो ज्यादा प्रोडक्शन देते हैं. किस खास नस्ल का बकरा मीट के लिए पसंद किया जाता है. जबकि किस मौसम में कौन सा बकरा कम लागत में बिना किसी परेशानी के पाल सकते हैं. जानकार कहते हैं कि अगर इन सब बातों का ख्याल रखा जाए तो मुनाफा कई गुना बढ़ जाएगा.
37 नस्ल हैं बकरियां
एक्सपर्ट के मुताबिक देश में बकरियों की 37 नस्ल पाई जाती है. इसमें 7 नस्ल ऐसी हैं जो दूध के लिए पाली जाती हैं. जबकि ब्लैक बंगाल, बीटल और बरबरी का मीट-दूध दोनों के लिए पालन किया जाता है. इससे पशुपालकों को दोनों तरह से फायदा होता है. वहीं जमनापरी और जखराना आदि नस्ल को पशु पालक सिर्फ मीट के लिए ही पालते हैं. जानकार कहते हैं कि देश में बकरों की 5 ऐसी नस्ल है जो मीट के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी खूब डिमांड रहती है. इनकी अच्छी कीमत मिलती है.
किस नस्ल की कितनी संख्या
मीट के लिए पसंद की जाने वाली नस्लों की बात की जाए तो इसमें ब्लैक बंगाल की संख्या 3.75 करोड़ है. जबकि जखराना की 6.5 लाख, बीटल की 12 लाख, बरबरी की 47 लाख, जमनापरी की 25.50 लाख है. वहीं देश में बकरे और बकरियों की कुल संख्या 15 करोड़ के आसपास है. वहीं मीट के लिए महाराष्ट्र में 1 करोड़, बिहार में 1.09 करोड़, पश्चिम बंगाल में 3.31 करोड़, उड़ीसा 65.97 लाख और राजस्थान 66 लाख बकरों की जरूरत होती है.
यहां सबसे ज्यादा हुआ उत्पादन
साल 2021-22 के रिकॉर्ड
पश्चिथम बंगाल 3.32 लाख
बिहार 1.24 लाख
महाराष्ट्र2 1.15 लाख
राजस्थाटन 88 हजार
उड़ीसा 79 हजार
आंकड़े मीट्रिक टन में हैं.
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