नई दिल्ली. पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली की मानें तो सर्दियां पोल्ट्री पक्षियों के लिए अच्छी भी हैं खराब भी है. ठंड का मौसम पोल्ट्री फार्मिंग के लिए इसलिए अच्छा है कि इसमें मुर्गियों की ग्रोथ अच्छी होती है. वहीं फीड को लेने के बाद मीट में तब्दीली भी अच्छी होती है. इस प्रक्रिया को FCR कहा जाता है. ठंड में सभी नस्लें अच्छा प्रदर्शन करती हैं. क्योंकि ये ठंडी जलवायु के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित होती हैं. वहीं दूसरी बात यह है कि चारे की गुणवत्ता और उपलब्धता काफी अच्छी होती है. चारा सस्ता हो जाता है. क्योंकि बारिश के बाद कटाई का मौसम अभी पूरा होता है और अच्छी गुणवत्ता वाला चारा उपलब्ध होता है.
डॉ. इब्ने अली का कहना है कि नये पोल्ट्री व्यवसाय शुरू करने का सही समय यही है और पोल्ट्री फॉर्मर्स को इस सीजन में अच्छी कमाई करने का लक्ष्य रखना चाहिए. इससे गर्मी और पिछले सीजन में जो भी नुकसान हुआ उसकी भरपाई हो जाएगी.
फार्म में चूजे लाने से पहले करें ये तैयारियां
डॉ. अली के मुताबिक शेड में चूजों के आने से पहले कुछ तैयारियां भी करना सर्दियों के लिए अहम होता है. शेड की सफाई, पिछले कूड़े का उचित निपटान, छत और मकड़ी के जाले और गंदगी की सफाई अैर पंखे हटाकर उन्हें ठीक से साफ करना चाहिए. फार्म में चूने से सफेदी करना बेहतर होता है. कच्चा फर्श में ऊपरी 6 इंच परत को खुरच कर चूना उपचार करना चाहिए. पक्का है तो इसे ठीक से धोएं और 1 फीसदी बायोबस्टर (10 ग्राम प्रति लीटर पानी) के साथ स्प्रे करें. पर्दों को तेज दबाव वाले पानी से साफ करके किनारों पर लगा दें. उसके बाद सोक्रेना या बी 904 या पेरासिटिक एसिड (सस्ते और सर्वोत्तम) से फॉगिंग या स्प्रे करें. पानी की पाइप लाइन को पेरासिटिक एसिड से साफ करना चाहिए. स्प्रे के बाद फार्म को कम से कम 2-3 दिन या चूजों के आने तक बंद रखें. आगमन से 12 घंटे पहले चूजों के लिए तैयारी शुरू कर दें. हीटिंग और उसके बैक की व्यवस्था पहले से ही कर लेनी चाहिए.
सर्दियाँ ख़राब क्यों होती हैं?
हालांकि सर्दियों में मुर्गियों के लिए खराब भी होती हैं. क्योंकि संक्रामक रोगों का प्रकोप विभिन्न कारणों से काफी खतरनाक और व्यापक रूप में होता है. यदि उचित देखभाल न की जाए तो मेटाबोलिक और प्रबंधन संबंधी समस्याएं भी बड़ी मुश्किल उत्पन्न करती हैं. इस सीजन में रानीखेत संक्रामक ब्रोंकाइटिस (आईबी), ब्रॉयलर में ILT, HPAI, LPAI और CRD बीमारियां बहुत बार होती हैं और भारी मृत्युदर का कारण बनती हैं. वेंटिलेशन कम करने और अनुचित तापमान प्रबंधन के कारण मेटाबोलिक और प्रबंधन समस्याएं केंद्रीय स्थान ले लेती हैं. ब्रूडिंग के दौरान मृत्युदर, शेड में उच्च अमोनिया, धूल और भारी पक्षियों में जलोदर अचानक मौत नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं.
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