Home पशुपालन Goat Farming: यहां पढ़ें बकरी के गर्मी में आने के लक्षण क्या-क्या हैं, जानें, गर्भपात रोकने के लिए क्या करें
पशुपालन

Goat Farming: यहां पढ़ें बकरी के गर्मी में आने के लक्षण क्या-क्या हैं, जानें, गर्भपात रोकने के लिए क्या करें

breeder goat
बीटल बकरी,

नई दिल्ली. बकरी पालन करने वाले पालकों को तो ये पता ही होना चाहिए कि बकरी के गर्मी में आने के लक्षण क्या हैं. क्योंकि जब उन्हें ये पता होगा तो फिर बकरियों को सही वक्त पर गाभिन कराया जा सकता है और इससे गर्भ ठहर जाएगा. अक्सर बकरी पालकों को ये पता ही नहीं होता है कि बकरी के गर्मी में आने के क्या लक्षण हैं. इसके चलते वो बकरी को गाभिन कराने से चूक जाते हैं. एक दो बार के बाद बकरी 19 से 21 दिनों के बाद गर्मी में आती है. जिससे गर्भ ठहरने में देर हो जाती है.

पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि जब बकरी गर्मी में होती है तो उसकी पहचानों में एक पहचान इस तरह की जा सकती है कि इस अवस्था में योनि मार्ग से थोड़ी मात्रा में पारदर्शी तोड़ (योनि-द्रव्य) गिरता है. योनि द्रव्य मदकाल के शुरू में कम व पतला, बीच में अधिक व पारदर्शी और आखिरी में गाढ़ा तथा सफेद होता जाता है. बकरी सामान्य अवस्था में 24-36 घंटे तक तक मदकाल (गर्मी) में रहती है और इसी सीमित अवधि में गर्भाधान कराने पर गर्भधारण करती है.

बकरे को बकरियों के झुंड में घुनाएं
एक्सपर्ट का कहना है कि बकरियों में मदकाल का पता करने के लिये एक टीजर बकरे को 50-60 बकरियों के झुंड में सुबह-शाम रोजाना आधा घंटे घुमाना चाहिए. मदकाल में आई बकरियों की मदकाल (गर्मी) में आने के 10-12 घण्टे बाद गाभिन कराना सबसे बेहतर होता है. अगर बकरी 24 घंटे बाद भी गर्मी के लक्षण प्रकट करती है तो दोबारा 10-12 घंटे के अंतराल पर भी गाभिन कराया जा सकता है. गर्भ न ठहरने की स्थिति में बकरियाँ 19-21 दिन के अन्तराल पर बार-बार गर्मी (मदकाल) में आती रहती हैं.

गर्भ की समय से जांच जरूरी
गाभिन करायी गयी प्रत्येक बकरी का उचित समय पर गर्भ परीक्षण करना जरूरी होता है. बकरियों में गर्भकाल की अवधि पांच माह (145-155 दिन) होती है. यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक गाभिन कराये गये पशु में गर्भ ठहर ही जाये. गर्भ की समय से जांच न होने का दोहरा नुकसान होता है. एक तो समय से गर्भ डायग्नोसिस के अभाव में बकरियों को गर्भावस्था में उचित आहार नहीं मिल पाता है. जिससे गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है और कमजोर बच्चे पैदा होते हैं. दूसरे, खाली (बगैर गाभिन) बकरियों के रखरखाव में अनावश्यक खर्चा होता है तथा बकरी पालन में अपेक्षित लाभ नहीं होता है.

बकरियों में गर्मी (हीट) के लक्षण

पूंछ को बार-बार हिलाना.

बेचैन होना तथा दाना-चारा कम खाना.

बार-बार पेशाब करना.

झुंड में दूसरी मादा बकरियों पर चढ़ना.

बकरे को सम्भोग के लिये स्वीकृति देना.

बकरी की योनि का लाल होकर चिकनी व लसीली होना.

योनि मार्ग से पारदर्शी योनिद्रव्य का निकलना.

मिमयाना व चौकन्ना हो जाना आदि हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं के लिए क्यों जानलेवा है ठंड, क्या-क्या होती हैं दिक्कतें, पढ़ें यहां

ये ठंड के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. इसलिए इनका ख्याल रखना...

livestock animal news
पशुपालन

Fodder Maize: पोल्ट्री और एनिमल फीड की ताकत बनेगी मक्का की ये वैराइटी, पढ़ें इसकी खासियत

अफ्रीकी लंबा मक्का एक हरा चारा फसल है जो अपने उच्च शुष्क...