Home सरकारी स्की‍म UP में गोशालाओं में साइलेज को बढ़ावा दे रही है सरकार, बनाने का सही तरीका भी बताया
सरकारी स्की‍म

UP में गोशालाओं में साइलेज को बढ़ावा दे रही है सरकार, बनाने का सही तरीका भी बताया

livestock animal news
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित संचालित गो आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंश के भरण-पोषण में साइलेज के इस्तेमाल के संबंध में एक आदेश जारी किया गया है. सरकार ने की ओर से गया है कि पशुधन की हैल्थ की सुरक्षा के लिए वर्षभर बराबर हरे चारे की उपलब्धता की जरूरत है लेकिन प्रदेश में जलवायु विविधता और क्षेत्र की भौगोलिक विविधता के कारण हरे चारे की उपलब्धता नहीं हो पाती है. इस कारण पशुधन की उत्पादन एवं उत्पादकता के साथ स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ना है. इसलिए जरूरी है कि साइलेज को बढ़ाया दिया जाए और पशुओं को इस स्थिति में साइलेज खिलाया जाए.

सरकार की ओर से जारी किये गए लेटर में कहा गया है कि हरे चारे को एक निश्चित अवस्था में गड्‌ढे में दबाकर एनएरोबिक अवस्था में सुरक्षित रखने को इनसाइ‌लिंग कहा जाता है. इस प्रकार जो चीज बनकर तैयार होती है उसे साइलेज कहते हैं. साइलेज बनाकर चारे को सुरक्षित रखने का तरीका घास को सूखा कर रखने से ज्यादा अच्छा है. खराब मौसम में भी साइलेज बनाई जा सकती है.

साइलेज के फायदे भी बताए
एक अच्छी साइलेज का pH मान 3.5-4.2, साइलेज में शुष्क पदार्थ की 40 फीसदी मात्रा तथा 25-30% ड्राई मैटर पाया जाता है. साइलेज बनाने के लिए ज्वार, मक्का की फसल उत्तम होती है. हरे चारे के अभाव में साइलेज से कमी पूरी होती है तथा व्यय भार भी कम होता है. बारिश के मौसम में भी साइलेज आसानी से बनाई जा सकती है. साइलेज सूखे चारे की अपेक्षा कम स्थान पर संरक्षित किया जा सकता है. साइलेज पौस्टिक अवस्था में 12-18 माह तक रखा जा सकता है, बशर्ते खोला न गया हो. यह जाड़े के दिनों में तथा चारे के अभाव में पशुओं को खिलाने हेतु उत्तम आहार है. साइलेज पशुओं को सालभर खिलाया जा सकता है. हरे चारे से बनाया गया साइलेज अपेक्षाकृत अधिक पाचक और पौष्टिक होने के कारण पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ाता है तथा पशुओं को स्वस्थ भी रखता है.

पशु को कितना दिया जाए साइलेज
सरकार ने ये फैसला किया है कि गोवंश के भरण-पोषण के लिए सूखा भूसा, हरा चारा एवं संकेन्द्रित आहार के सापेक्ष, अगर मौसमों में हरे चारे की अनुपलब्धता होने की दशा में बड़े गोवंश को औसत 3 किलोग्राम साईलेज, 2 किलो सूखा भूसा एवं आधा से एक किलोग्राम संकेन्द्रित आहार दिया जाए तो गोवंश के स्वास्थ्य आौर डाइजेस्ट में सुधार होगा. वहीं भूसे की कम आवश्यकता के कारण स्टोरेज में भी सुविधा होगी तथा भरण-पोषण के आवश्यक अवययों की उपलब्धता धनराशि 50 रुपये के अंतर्गत ही हो जायेगी.

साइलेज को बढ़ावा दे रही है सरकार
सभी जिलों के डीएम द्वारा समय-समय पर साईलेज, हरा चारा, भूसा व दाना मिश्रण या किसी अन्य अवयव की उपलब्धता के आधार पर, उपरोक्त को कम या अधिक करने का निर्णय लिया जा सकता है. बस शर्त ये होगी कि धनराशि 50 रुपये से कम न हो. यह भी सुनिश्चित किया जाय कि स्थानीय स्तर पर पशुओं के गोबर व अन्य सोर्स से हासिल आय का भी पशुओं को अत्यधिक पौष्टिक आहार देने में इस्तेमाल किया जा सकता है. सरकार की ओर से कहा गया है कि सभी गो आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंश के भरण-पोषण के लिए जरूरी साइलेज का उपयोग बढ़ाने के लिए काम किया जाए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
सरकारी स्की‍म

Cow: UP सरकार गोशाला विकास के लिए चला रही है ये योजना, पढ़ें डिटेल

सरकार की ओर से गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने तथा इनके कामों में...