नई दिल्ली. मछली पालन में नई नई तकनीक आ रही हैं. इनके जरिए आप तालाब में ही नहीं किसी भी जगह पर मछली पालन कर सकते हैं. एक ऐसी ही मछली पालन की तकनीक है केज मछली पालन की. मछली पालन की विधि है केज, जिसमें मछलियों को प्राकृतिक जल जैसे नदियों, झीलों और समुद्र में स्थापित जलीय पिंजरों में पाला जाता है. इस विधि से मछलियां एक नियंत्रित तैरती हुई जगह में रखा जाता है. जिससे उनके भोजन, प्रजनन और कटाई को आसानी से मैनेज किया जा सकता है.
अगर आप भी मछली पालन कर रहे हैं तो कुछ तकनीकियों से आप अच्छा मछली पालन कर सकते हैं. केज मछली तकनीक के कई सारे लाभ हैं. मछलियां एक सीमित क्षेत्र में रखी जाती हैं, जिससे जमीन का कम उपयोग होता है और स्थान की बचत होती है. इस विधि में पानी की गुणवत्ता भोजन और मछलियों की हेल्थ पर आसानी से निगरानी रखी जा सकती है. पिंजरे में मछलियां, सेहत और उनकी संख्या पर नजर रखी जा सकती है, जिससे उत्पादन अधिक हो सकता है. मछली पालन के लिए आजकल सरकार भी सब्सिडी दे रही है, जिसमें कई राज्यों में अच्छी स्कीमें चल रही हैं. जो मछली पालन को और बढ़ावा दे रही हैं.
केज मछली पालन के लाभ: केज मछली पालन में मछलियां एक सीमित क्षेत्र में रखी जाती हैं. केज मछली पालन में जमीन का कम उपयोग होता है और स्थान की बचत होती है. इस विधि में पानी की गुणवत्ता, आहार और मछलियों के स्वास्थ्य पर आसानी से निगरानी रखी जा सकती है. पिंजरे में मछलियां घनी संख्या में रहती हैं.
कैसे करते हैं केज मछली पालन: केज मछली पालन के लिए समय समय पर केज की जांच लगातार करते रहनी चाहिए. अगर कोई मरी हुई मछली इसमें मिलती है तो उसे तुरंत हटा दें. जाल के धागे और मछली की जांच बीच बीच में करनी चाहिए. अगर कहीं इन्फेक्शन, घाव दिखे तो उसका इलाज तुरंत कराएं. हर 15 दिन में एक बार ब्रश से जल को साफ करें ताकि इसमें काई आदि जमा ना हो. नियमित रूप से मछलियों की ग्रोथ की जांच और उनके भोजन की डिमांड को बैलेंस रखना चाहिए. पानी में ऑक्सीजन और अमोनिया कितनी है यह देखना बहुत जरूरी होता है. अगर कोई धागा लूज या कट गया है तो उसकी मरम्मत कर लेनी चाहिए. मछलियों की सेहत को लगातार मॉनिटर करें.
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