नई दिल्ली. मछली पालन में भारत में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. मछली पालन करके बहुत से किसान अच्छी खासी आमदनी हासिल कर रहे हैं. खेती किसानी के अलावा मछली पालन की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है. क्योंकि मछली खाने की सलाह डॉक्टर भी देते हैं. इस वजह से बाजार में मछली की डिमांड भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है और इस वजह से मछली पालन का भी क्रेज तेजी के साथ बढ़ रहा है. अगर आप भी मछली पालन करना चाहते हैं तो आपको यह पता होना चाहिए कि मछली क्यों बीमारी होती हैं. जब मछली बीमार हो जाती हैं तो क्या लक्षण दिखाई देते हैं. आइए यहां जानते हैं.
क्यों मछली होती है बीमार
रासायनिक परिवर्तन पानी की गुणवत्ता, तापमान, पीएच लेवल, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि की असंतुलित मात्रा मछली के लिए घातक साबित होती है. मछली के जिस पदार्थ को निकलती है, वह भी तालाब में एकत्रित हो जाता है. मछली के अंगों जैसे गलफड़े, चमड़े और मुंह के संपर्क में आकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. कार्बनिक खाद उर्वरक या आहार आवश्यकता से अधिक दिए जाने से विषैली गैस उत्पन्न होती है. जिस वजह से भी मछलियां बीमार पड़ जाती हैं.
मछली बीमारी होने पर क्या करती हैं
बीमार मछली समूह में न रखकर किनारे पर अलग-अलग दिखाई देती है. वह शिथिल हो जाती है.
मछली में बेचैनी दिखाई देती है और अनियंत्रित तौर पर तैरती है.
अपने शरीर को बंधे के किनारे या पानी में गले बांस से बार-बार रगड़ती हैं.
मुंह खोलकर बार-बार हवा अंदर लेने लगती हैं.
पानी में बार-बार गोल-गोल घूमने लगती हैं.
भोजन भी काम कर देती है
पानी में सीधा-सीधा टांगे रहना कभी-कभी उलटी भी हो जाती हैं.
मछली के शरीर का रंग फीका पड़ जाता है. चमक कम हो जाती है. तथा शरीर पर शैलेशमिक द्रव के स्राव से शरीर चिपचिपा हो जाता है.
कभी-कभी आंख शरीर पर तथा गलफड़े फूल जाते हैं.
शरीर की त्वचा फट जाती है. तथा उनसे खून आने लगता है.
गलफड़े की लाली कम हो जाती है. उसमें सफेद धब्बे बन जाते हैं.
शरीर में परजीवी प्रवेश कर जाते हैं.
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