नई दिल्ली. साल 2024 के बजट में डेयरी सेक्टर के लिए सरकार ने एक नई योजना बनाने की घोषणा की है और इस योजना को बनाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) की कामयाबी को भी ध्यान में रखा जाएगा. साथ ही राष्ट्रीय पशु मिशन डेयरी प्रोसेसिंग और पशुपालन से जुड़ी योजनाओं की कामयाबी को भी पर भी गौर किया जाएगा. ऐसे में किसानों के मन में सवाल होगा कि आरजीएम योजना क्या है? किस मकसद से योजना को शुरू किया गया था. अब तक इस योजना से शुरू होने के बाद पशुपालन को कितना फायदा मिला है. इन सवालों के जवाब आप नीचे पैराग्राफ में पढ़ सकते हैं.
बढ़ गई पशुओं की संख्या
छोटे पशुपालकों को ध्यान में रखते हुए आरजीएम योजना की शुरुआत साल 2014 में की गई थी. 5 साल की इस योजना के लिए 2400 करोड़ रुपए दिए गए थे. इसका मकसद था, गाय भैंस की सभी तरह की देसी नस्ल को बढ़ावा दिया जाए. साथ ही दूध की बढ़ती डिमांड को देखते हुए दूध उत्पादन में बढ़ोतरी को भी पूरा किया जाए. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि साल 2013-14 में दुधारू पशुओं की संख्या 84.09 मिलियन थी. जबकि साल 2021-22 में यह आंकड़ा 120.19 मिलियन तक पहुंच गया है.
दूध का उत्पादन भी बढ़ा
वहीं गोपासु दूध उत्पादन साल 2014-15 में 29.8 मिलियन के मुकाबले 2021 में मिलियन टन हो गया है. केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन दिल्ली मंत्रालय का कहना है कि गोकुल मिशन एक ऐसी योजना है. जिसके चलते दूध उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. 2014-15 में देश के अंदर दूध उत्पादन 146.31 मिलियन टन था, जो 2021-22 में बढ़कर 220.78 मिलियन टन हो गया. 8 साल के वक्त में 74 मिलियन तन से ज्यादा दूध का उत्पादन बड़ा है.
कहां कितने गोकुल ग्राम
केंद्र सरकार ने देश के 13 राज्यों में कुल 16 गोकुल ग्राम की स्थापना की है. कर्नाटक से लेकर हिमाचल प्रदेश तक गोकुल ग्राम बनाए गए हैं. आंध्र प्रदेश तेलंगाना में एक-एक गोकुल ग्राम बना है. वहीं गुजरात में एक, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ में एक-एक बनाया गया है. जबकि उत्तर प्रदेश में तीन, जबकि महाराष्ट्र में दो गाकुल ग्राम बनाए गए हैं. वहीं कर्नाटक में भी कर्नाटक और हिमाचल में भी एक-एक ग्राम बनाए गए हैं.
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