नई दिल्ली. बहुत से किसान अब खेती-किसानी के साथ-साथ अन्य कार्य भी कर रहें ताकि उनकी आमदनी में इजाफा हो सके. इन कार्यों में से एक है मछली पालन. अगर मछली पालन किया जाए तो इससे अच्छी कमाई हो सकती है. एक आंकड़े के मुताबिक अगर गांवों में बिना किसी ज्यादा मेहनत के एक एकड़ के तालाब में 1500 किलोग्राम मछली का उत्पादन होता है तो इससे 25 हजार रूपये का फायदा हो सकता है. जबकि अगर कोई अन्य व्यवसाय करते हैं तो शायद इतना फायदा न मिले. मछली पालन में उसके आहार का खास ख्याल रखना होता है.
अगर आपने मछली पालन का मन बनाया है तो आपको मालूम होना चाहिए कि मछलियों को किस तरह का आहार देना चाहिए. यहां हम आपको यही बताना चाह रहे हैं कि मछलियों को कितना आहार देना चाहिए.
आहार की जरूरत का ऐसी करती हैं इशारा
अगर आप मछली पालन करते हैं तो आपको ये मालूम होना चाहिए कि मछली के आहार में 4-6 प्रतिशत वसा की आवश्यकता होती है. जबकि ज्यादा वसा देने पर मछलियों में बीमारी लग जाने का खतरा रहता है. यहां हमे ये भी पता होना चाहिए कि मछलियों को आहार की कब जरूरत होती है. इसके लिए मछलियों खुद संकेत देती हैं. मछलियां जब सब्सट्रेट या पौधों के पीछे कुछ चुन रही हैं तो यह एक संकेत है कि वे भोजन की तलाश में हैं. अत्यधिक आक्रामक आहार व्यवहार से यह भी पता चल सकता है कि मछलियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है.
क्या है आहार देना का सही समय
मछली को आहार सुबह या शाम को जल का तापमान कम होने पर देना चाहिए और आहार देते समय एक दिन में आधी मात्रा दें. कृत्रिम आहार, इस आहार में जीवों तथा वंनस्पतियों का उपयोग किया जाता है. जूलॉजिकल आहार मछली का चूरा, झिंगा का चूरा, रेशम के कीडों के बच्चे दिए जाते हैं. वहीं वंनस्पतिजन्य आहारमूंगफली की खली, सरसो की खली, सोयाबीन की खली और अधिक चावल का भूसा, गेहूं की भूसी भी दी जाती है.
एक किलो की मछली को इतना दें
आहार का दर मछली को उसके वजन का 5 फीसदी से 10 फीसदी मात्रा के दर से आहार दें. उदाहरण के तौर पर समझें कि 1 किलो कि मछली को 50 से 100 ग्राम आहार दें, इस हिसाब से 1 हेक्टर तालाब के लिए 1 से 1.5 टन आहार प्रति वर्ष लगता है. मछली की संचयन सघनता का प्रमाण ज्यादा होने पर और दूषित कृत्रिम खाद्य देने से मछलियों मे बिमारी की संभावना होती है. संतुलित आहार में पोषक तत्वों कि कमी व जलीय प्रदूषण के कारण मछली में कमजोरी आती है.
Leave a comment