Home मछली पालन Fish Farming: मछलियां फंगल डिसीज से कब होती हैं बीमार, जानें यहां, बीमारी के लक्षण भी पढ़ें
मछली पालन

Fish Farming: मछलियां फंगल डिसीज से कब होती हैं बीमार, जानें यहां, बीमारी के लक्षण भी पढ़ें

CIFE will discover new food through scientific method
मछली का प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. देशभर में किसान अब खेती के साथ-साथ बड़े स्तर पर मछली पालन भी कर रहे हैं. इससे किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है. वहीं केंद्र राज्य सरकारों की ओर से भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है. इसके अलावा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. जिससे मछली किसानों को फायदा पहुंचाया जा सके. हालांकि बहुत से जगह पर किसानों को मछली पालन से जुड़ी सटीक जानकारी नहीं होती. इस वजह से मछली पालन में या तो उन्हें नुकसान होता है. दरअसल, मछली में कई बीमारी भी आती है जिससे मछली पालन को सबसे ज्यादा चोट पहुंचती है.

इसके चलते बहुत से किसान मछली पालन करना छोड़ भी देते हैं. इस वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. मछली पालन के लिए खर्च किए गए रुपयों के चलते आर्थिक नुकसान की वजह से किसान दोबार इस व्यवसाय में आगे आने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं. इसलिए जरूरी है कि मछली की किसानों को सटीक जानकारी हो और खास करके मछली पालन के दौरान होने वाली बीमारियों की जानकारी रहना भी जरूरी है. पिछले कई आर्टिकल में हम आपको मछलियों की बीमारियों के बारे में बता चुके हैं, जिससे आप फायदा उठा सकते हैं.

फंगल डिसीज के बारे में पढ़ें
फंगल डिसीज में लाल घाव का रोग से प्रचलित अफेनोमाइसीज इन्वेडैन्स से होने वाला संक्रमण मीठा जल के मछलियों को प्रभावित करने वाला सर्वाधिक गंभीर रोग माना जाता है. इस रोग के प्रति कार्प मछलियों अत्यधिक संवेदनशील होती हैं. यह रोग अधिकांशतः ठंढ के मौसम में (18-22 ड्रिगी सेल्सियस) पर देखा जाता है. संक्रमित मछलियों के भारीर में जगह-जगह घाव हो जाते हैं जो इस बीमारी का संकेतिक लक्षण है. बीमारी फैलने की अवस्था में भूरे ऊतकक्षय के साथ अक्सर बड़े-बड़े लाल अथवा मटमैले फोड़े देखने को मिलते हैं.

इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं
एक अन्य प्रमुख रोग, सैप्रोलेगनियासिस का कारण जलीय कवक सैप्रोलेगनिया पैरासाइटिका है. इससे सभी आयु वर्ग की मछली प्रभावित होती है लेकिन यह रोग विशेषकर अण्डों और परिपक्व प्रजनक मछलियों में आमतौर पर अधिक देखा जाता है. बार-बार इस रोग के कारण सतही और गंभीर संक्रमण होता है. जिसमें अण्डों तथा मछली के गलफड़ों पर रूई के गुच्छे देखने को मिलते हैं. गंभीर मामलों में, यह रोग सम्पूर्ण शरीर पर फैल सकता है.

वायरल डिसीज क्या है
भारतवर्ष में मछलियों को प्रभावित करने वाले कुछ विषाणु जनित रोगों की सूचनाएं भी प्राप्त हुई हैं. हांलाकि अच्छी बात ये है कि कार्प मछलियों में कोई भी विषाणु जनित रोगों की सूचना नहीं पाई गई है. इसके चलते कार्प मछली पालना सबसे बेहतर विकल्प है. वैसे भी भारत में ज्यादातर कार्प मछलियों का ही पालन किया जाता है और इससे बेहतर आय मछली पालक हासिल करते हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Interim Budget 2024
मछली पालन

Fish Farming: नए सिरे से पंगेसियस मछली का पालन कैसे करें, जानें यहां

नहीं तो इससे आपको तालाब के पास जाने में दिक्कत आएगी. तालाब...

मछली पालन

Fish Farming: मछली पालन के लिए अब KCC से ज्यादा लोन ले सकेंगे किसान, बजट में हुई घोषणा

चूंकि भारत में 20 लाख वर्ग किलोमीटर का ईईजेड और 8,118 किलोमीटर...