नई दिल्ली. अपने प्राकृतिक आवास छोड़कर सांप और पशु-पक्षी, शहरों में घुस रहे हैं. इस बात को हम यूं नहीं कह रहे हैं, दरअसल, जब आप रेस्क्यू डायरी पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि वाइल्डलाइफ एसओएस ने वर्ष 2024 में लगभग 1,500 जानवरों को बचाया है. वाइल्डलाइफ एसओएस ने वर्ष 2024 में आगरा और पड़ोसी शहरों में लगभग 1,500 जंगली जानवरों का रेस्क्यू किया है. जो भारत के वन्यजीवों की सुरक्षा में संस्था की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है. खासतौर पर शहरीकरण, घटते वनक्षेत्रों और मानव अतिक्रमण से बढ़ते खतरों के बीच ये सहराहनीय काम है.
वाइल्ड लाइफ एक्स्पर्ट का कहना है कि तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते सिकुड़ते वन क्षेत्र जंगली जानवरों को आश्रय की तलाश में अपने प्राकृतिक आवास छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं. जिससे वो अक्सर शहरी क्षेत्रों में आ जाते हैं. इसके अलावा, मौसम की मार- तेज गर्मी, ठंड और भारी बारिश इस स्थिति को और बढ़ा देती है. जिसके चलते वाइल्डलाइफ एसओएस की हेल्पलाइनों पर सांप, पक्षियों और खतरे में पड़े स्तनधारियों जंगली जानवरों के बारे में कई कॉल आती रहती है. जिसके बाद संस्था के लोग रेस्क्यू करते हैं. बताते चलें कि उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से, वाइल्डलाइफ एसओएस ने 2024 में आगरा और इसके आसपास के शहरों में कई बचाव अभियान चलाए हैं.
2024 में कितने जीवों का किया रेस्क्यू, पढ़ें यहां
आंकड़ों के मुताबिक 2024 में कुल 717 सांप बचाए गए, जिसमें आगरा से बचाया गया 55 किलोग्राम का एक भारी भरकम अजगर भी शामिल था. अन्य रेस्क्यू किए गए सांपों में इटावा से 25 अजगर के बच्चे, आगरा किले से 5 फुट लंबा रैट स्नेक और 9 मगरमच्छ भी शामिल हैं. इसी साल 139 कॉमन वुल्फ स्नेक, 156 इंडियन रैट स्नेक, 115 अजगर, 123 कोबरा और 78 मॉनिटर लिज़र्ड जैसे विभिन्न प्रकार के सरीसृपों को भी बचाया गया. सांपो के अलावा लगभग 500 स्तनधारिय जानवरों को भी रेस्क्यू किया गया, जिनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या बंदरों की थी. इसमें अप्रैल 2024 में एक तेंदुए का रिलीज भी शामिल है, जो लगभग आठ महीने तक वाइल्डलाइफ एसओएस की देखरेख में रहा था. संस्था की रेस्क्यू टीम ने 128 मोर सहित 250 से अधिक पक्षियों को भी बचाया, जो की क्षेत्र में वन्यजीवों की रक्षा के प्रति वाइल्डलाइफ एसओएस की अटूट प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है.
जानें एक्सपर्ट ने क्या कहा
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण, ने कहा, “वर्ष 2024 हमारे लिए चुनौतीपूर्ण लेकिन यादगार रहा है. अप्रत्याशित जलवायु परिस्थितियों और मानवीय गतिविधियों के कारण जंगली जानवरों के लिए बढ़ते खतरों के बावजूद, हम ऐसा करने में सक्षम थे. यह सफलता हमारी समर्पित टीम, स्वयंसेवकों के अथक प्रयासों और उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ हमारे मजबूत सहयोग के बिना संभव नहीं होती.” वहीं वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि, ने कहा, “प्रत्येक बचाव जैव विविधता के संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है. शहर के फैलाव के कारण जानवर रिहायशी इलाकों में जाने के लिए मजबूर होते हैं और यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें सुरक्षित आश्रय दिया जाए.
डायरेक्टर ने कहा जारी रहेगा प्रयास
वहीं वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एमवी ने कहा, “यह रेस्क्यू ऑपरेशंस हमारी टीम के समर्पण को दिखाते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी अथक परिश्रम करते हैं. हम न केवल जानवरों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे, बल्कि उनके प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व के महत्व के बारे में जागरूकता बढाने के प्रयास करते रहेंगे. बता दें कि संस्था की ओर से कुछ फोन नंबर भी जारी किए गए हैं. जिसमें आगरा का (+91 9917109666), दिल्ली-एनसीआर (+91-9871963535), वडोदरा (+91-9825011117) और जम्मू और कश्मीर (+91-7006692300, +91-9419778280) है.
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