नई दिल्ली. क्या सच में मुर्गी मुर्गियों को जल्दी बड़ा करने के लिए एंटीबायोटिक दावाओं का इस्तेमाल किया जाता है? और इसका असर ह्यूमन बॉडी पर भी पड़ता है. गौरतलब है कि पोल्ट्री सेक्टर पर आरोप लगाते रहे हैं कि चिक्स की ग्रोथ की बढ़ाने और ज्यादा अंडे लेने के लिए पोल्ट्री कारोबारी इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. फायदे के लिए पोल्ट्री कारोबारी लोगों की सेहत ख्याल नहीं रख रहे हैं. जबकि दूसरी ओर पोल्ट्री संगठन इस दावे को खारिज करता रहा है. वहीं पोल्ट्री एक्सपर्ट भी कहते हैं कि मुर्गों को जल्दी बड़ा करने और मुर्गियों से ज्यादा अंडा लेने के लिए किसी तरह की एंटीबायोटिक दवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इससे ग्रोथ होने की बजाय उल्टे काम हो जाती है.
वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन वर्ल्ड एएमआर अवेयरनेस वीक मानती है. जिसका मकसद लोगों में एंटीबायोटिक दावों को लेकर जागरुकता बढ़ाने को लेकर है. इसके साथ ही पशुओं और पक्षियों को कम से कम और बहुत ज्यादा जरूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक दवाएं खिलाने को लेकर जागरुक किया जाता है. इसको लेकर 28 से 24 नवंबर तक अवेयरनेस वीक मनाया जाता है. जहां हर तरह से लोगों को अवेयर किया जाता है.
पशुपालन मंत्रालय भी जारी करता है सुझाव
गौरतलब है कि सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों के जरिए अक्सर यह सामने आती ही रहती है कि मुर्गी को जल्दी बड़ा करने के लिए और उससे ज्यादा अंडे हासिल करने के लिए एंटीबायोटिक दवाई खिलाई जा रही है. यही दवाइयां मुर्गी और अंडे खाने वाले इंसानों के शरीर में अपना असर दिखाती हैं. जिसके चलते एनिमल हसबेंडरी पशुपालन मंत्रालय भी इस संबंध में एंटीबायोटिक दावाओं को लेकर सुझाव जारी करता रहता है.
खतरनाक है एंटीबायोटिक दवाएं
एक्सपर्ट भी मानते हैं कि पशुओं और इंसानों के साथ ही एंटीबायोटिक दवाएं पर्यावरण के लिए भी बेहद खतरनाक हैं. एंटीबायोटिक दावों से जानवरों में एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस पैदा हो जाता है. यह एक ऐसा स्टेज है, जिसमें किसी बीमारी को ठीक करने के लिए जो एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं, वह काम करना बंद कर देती है. यही वजह है कि इस सुपर बग कंडीशन के चलते हर साल 10 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
दवा दें तो फायदा क्या होगा
हालांकि पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रतनपाल डाहंडा कहते हैं कि एंटीबायोटिक दवाइयां से ब्रॉयलर चिकन का वजन नहीं बढ़ाया जा सकता है. दवा देकर अंडे वाली लेयर मुर्गी से ज्यादा और अच्छे अंडे लिए जा सकते हैं ये खबर बिल्कुल गलत है. मैं दावा करता हूं कोई एक ऐसी एंटीबायोटिक दवा नहीं है, जिससे मुर्गों का वजन बढ़ाया जा सके. हालांकि सोशल मीडिया की बातों को लोग सच मान लेते हैं. ये जरूर है कि मुर्गियों को बीमारी से बचने के लिए उनका वैक्सीनेशन कराया जाता है. बीमार होने पर दवाई दी जाती है और पूरी तरह से शाकाहारी फीड दिया जाता है. अगर महंगी एंटीबायोटिक दवाएं दी जाएं तो 80 से 90 रुपये किलो बिक रहे ब्रॉयलर चिकन कारोबार से फायदा ही क्या होगा.
नहीं बढ़ता है वजन
वही संबंध में एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर अशोक तिवारी का भी कहना है कि किसी तरह की रिसर्च में यह साबित नहीं हो सका है कि मुर्गियों को एंटीबायोटिक खिलाने से उनका वजन बढ़ता है. या फिर ज्यादा अंडे देती हैं पोल्ट्री फार्म क्योंकि बहुत महंगा कारोबार है. मुर्गी बहुत ही सेंसिटिव होती हैं, तो कुछ लोग जिनकी संख्या बहुत कम है. वह चोरी छुपे मुर्गियों को एंटीबायोटिक दवाई खिलाते हैं. यह दावा इसलिए होती है ताकि मुर्गियां बीमार न पड़े ना कि उनके ग्रोथ और और ज्यादा अंडे हासिल करने के लिए.
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