नई दिल्ली. गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना में पशुपालन मेले का उद्घाटन पंजाब के कृषि और किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी और मछली पालन के कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां ने किया. मेले में घर के पिछवाड़े में मुर्गी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए बांस से बना एक मुर्गी शेड भी प्रदर्शित किया गया था. इससे हाशियागत रहने वाले परिवार अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए अलग व्यवसाय शुरू कर सकते हैं.
किसानों को जागरूक भी किया गया
पशुपालन मेले में डेयरी फार्मिंग, पशु स्वास्थ्य देखभाल और पालन समस्याएं और मासिक पत्रिका वैज्ञानिक शुपालन की भी सराहना की गई और युवाओं ने इसे बहुत पसंद किया. विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में पंफलेट भी वितरित किए गए. एकीकृत पशुपालन को बढ़ावा देने और किसानों की लाभप्रदता बढ़ाने के लिए विभिन्न मॉडलों का प्रदर्शन किया गया. इनके जरिए हमारे पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को भी दिखाया गया. मेले में जगह-जगह देसी टोटके और उपचार से संबंधित बोर्ड लगाकर नई सिफारिशों के बारे में भी जागरूक किया गया.
थन की देखभाल, पिस्सू और किलनी से बचाव की जानकारी दी
विश्वविद्यालय के वेटरनरी साइंस कालेज के विभिन्न विभागों द्वारा पशुपालकों के लिए पशुओं की बीमारियों एवं समस्याओं के बारे में विशेष जानकारी दी गयी. विभागों ने अपने अलग-अलग स्टॉल लगाए और पशुओं की हर उलझन पर प्रकाश डाला. दूध परीक्षण किट, थन निवारण किट, थन की देखभाल और पिस्सू और किलनी से बचाव की जानकारी भी प्रदर्शित की गई, जिसका पशुपालक उपयोग कर सकते हैं.
छींगा पालन के बारे में बताया
विश्वविद्यालय के मत्स्य पालन कॉलेज ने कार्प मछली और सजावटी मछली का प्रदर्शन किया, जबकि उन्होंने खारे पानी की मछली पालन और झींगा पालन के बारे में भी जानकारी प्रदान की. उन्हें इस बात की पूरी जानकारी दी गई कि डकवीड और एजोला का उपयोग मछली के चारे और पशु आहार के रूप में कैसे किया जा सकता है.पशु चारा विभाग द्वारा क्षेत्र-आधारित खनिज मिश्रण, बाय-पास फैट और पशु लिक तैयार किया जाता है. इसका किसानों में विशेष आकर्षण था. उन्होंने इसमें रुचि दिखाई और इन वस्तुओं को बड़ी मात्रा में खरीदा.
लस्सी और मीट पैटीज का भी लोगों ने उठाया आनंद
डेयरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉलेज के डेयरी प्लांट में तैयार की गई विभिन्न प्रकार की मीठी और नमकीन लस्सी, दूध, पनीर, ढोड़ा बर्फी और कई अन्य उत्पादों का प्रदर्शन किया गया और मेले में आए लोगों ने उनका भरपूर आनंद लिया. उन्होंने खरीदारी में रुचि भी दिखाई. मीट पैटीज़ और अंडे और उन्हें बनाने की विधियां सीखने में भी रूचि दिखाई. विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए, कोई भी प्रशिक्षण ले सकता है.
मशीनरी का भी किया प्रदर्शन
विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, दूध चारा, फार्मास्यूटिकल्स, वैक्सीन फर्मों और दूध प्रसंस्करण मशीनरी कंपनियों ने अपने स्टॉल लगाए थे. विश्वविद्यालय के तत्वावधान में स्थापित संगठनों ने भी अपने स्टॉल लगाकर नए सदस्यों की भर्ती की. विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी और छात्रों ने मेले का भरपूर आनंद उठाया. मेले में पशुपालकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया, जो पशुपालन अपनाने में किसानों की रुचि को दर्शाता है. मेला 15 मार्च को भी जारी रहेगा.
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