Home पशुपालन Animal Husbandry: जुलाई में पशुओं की किस तरह करें देखभाल, पढ़ें सरकार की एडवाइजरी में
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Animal Husbandry: जुलाई में पशुओं की किस तरह करें देखभाल, पढ़ें सरकार की एडवाइजरी में

गर्मियों में पशु बहुत जल्द बीमार होते हैं. अगर ठीक से इनकी देखरेख कर ली जाए तो हम पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं.
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. देशभर में मॉनसून की एंट्री हो चुकी है. जगह-जगह बारिश हो रही है. ऐसे में पशुपालन करने वाले पशुपालकों को सतर्क रहने की जरूरत है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, पशुपालन सूचना एवं प्रसार कार्यालय, बिहार की ओर से पशुपालकों को अवेयरकरने के लिए एक एडवाइजरी जारी की गई है. इस एडवाइजरी में पशुओं के रखरखाव और उनके ध्यान रखने को लेकर तमाम जानकारी शेयर की गई है. एडवाइजरी में बताया गया कि बारिश के दिनों में पशुओं के बीमार होने के चांसेज ज्यादा होते हैं. इसलिए जरूरी एहतियात कर लेना चाहिए.

वहीं एक्सपर्ट कहते हैं कि डेयरी कारोबार के लिए पाले जा रहे पशु बीमार पड़ जाते हैं तो इसका सीधा नुकसान पशुपालकों को होता है. क्योंकि बीमारी सबसे पहले प्रोडक्शन पर असर डालती है. फिर पशुओं की सेहत भी खराब होने लग जाती है. इसके चलते पशु पालकों को हर हाल में बीमारी से बचाना चाहिए. बताते चलें कि एडवाइजरी में चारा की बुवाई के लिए में भी जानकारी दी गई है.

इन गाय और भैंस को अलग कर दें
बिहार सरकार की एडवाइजरी के मुताबिक इस माह में बारिश हो रही है. इसलिए पशु परिसर को सूखा एवं साफ रखना चाहिए तथा गर्मी एवं नमी जनित रोगों से पशुओं को बचाना चाहिए. क्योंकि बारिश की वजह से इस महीने में परजीवी एवं बाहरी परजीवी का असर काफी ज्यादा होता है. ऐसे में इनसे तथा इनसे संबंधित रोगों से बचाव करना बहुत ही जरूरी होता है. वहीं इस माह में भैंसों का ब्यान शुरू हो जाता है. अतः प्रजनन संबंधी सावधानी के साथ नवजात की सुरक्षा हेतु पूरी जानकारी प्राप्त होनी चाहिए. प्रेग्नेंट गाय एवं भैंस को अलग साफ हवादार सूखा स्थान पर रखना चाहिए.

ऐसी फसल जानवरों को न खिलाएं
वहीं इस माह में दूध उत्पादन हेतु जरूरी मात्रा में खनिज लवण की मात्रा पशुचिकित्सक की सलाह पर दिया जाना चाहिए. वहीं खनिज लवण की कमी से रोग हो सकते हैं. सिंचित हरे चारे के खेतों में जानवरों को नहीं जाने दें, क्योंकि लम्बी गर्मी के बाद अचानक वर्षा से जो हरे चारे की बढ़वार होती है उसमें साइनाइड जहर पैदा होने से चारा जहरीला हो जाता है. यह ज्वार के फसल में विशेष तौर पर होता है. ऐसी फसल को समय पूर्व कच्ची अवस्था में न काटें, न जानवरों को खिलायें.

चारा की बुआई करें
चारे के लिए मक्का की दूसरी फसल बोने का उचित समय है. बीज मात्रा 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करें. मल्टी सीजनल चारा घासों की रोपाई करें. संतुलित पशु आहार के लिए मक्का, बाजरा, लोबिया एवं ज्वार की एक साथ बोआई करें. इससे आने वाले समय में पशुओं के लिए प्रर्याप्त चारा उपलब्ध होगा.

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