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Fisheries: ठंड में मछलियों को रहता है इन बीमारियों का खतरा, पढ़ें डिटेल

fish farming in pond
तालाब में मछलियों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. वैसे तो मछली पालन एक फायदे का सौदा है लेकिन ठंड में मछलियों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है. अगर ऐसा न किया जाए तो मछलियां पहले बीमार पड़ती हैं और फिर उनकी मौत होने लगती है. इस कारण मछली पालन में फायदे की जगह नुकसान होने लगता है. इसलिए जरूरी है कि मछलियों की देखभाल ठंड में एक्सपर्ट द्वारा बताये गये तरीकों से किया जाना चाहिए. वहीं ठंड में अगर मछलियों की बीमारियों से मौत न भी हो तो ग्रोथ पर फर्क पड़ता है. ऐसे में भी मछलियों से फायदा कम मिलता है.

फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि कोई भी किसान अगर फिश फार्मिंग करता है तो वह ज्यादा से ज्यादा मुनाफे के लिए ही करता है लेकिन कई बार उसकी खुद की लापरवाही की वजह से उसे होने वाला मुनाफा कम हो जाता है. मछली एक जलीय जीव है और इसकी देखरेख मौसम के हिसाब से करनी पड़ती है. ठंड का महीना शुरू हो चुका है, ऐसे में मछलियों को भी ठंड लगती है और उन्हें इस ठंड से बचने की जरूरत होती है. भले ही वह पानी में रहती हैं और उन्हें ठंड से बचाने की जरूरत होती है.

ठंड में मछलियों को कई बीमारियां हो सकती हैं
एक्सपर्ट का कहना है कि ठंड में मछलियों में अल्सरेटिव सिड्रोम वायरस ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है. वहीं ठंड के मौसम में मछलियां एक-दूसरे से टकराती हैं और इपीज़ोपिक अल्सरेटिव सिंड्रोम (इयूएस) वायरस से संक्रमित हो जाती हैं. इससे मछलियों की पूंछ और पंख सड़ने लगती है. सैप्रोलेगनिया कवक मछली और उसके अंडों नुकसान पहुंचाता है. इससे स्किन, गलफड़ों, आंखों, या पंखों पर भूरे-सफ़ेद रंग के रूई जैसे उभार हो जाते हैं. ठंड में मछलियों को कई बीमारियां हो सकती हैं. वहीं अल्सरेटिव सेड्रोम वायरस, ठंड और ऑक्सीजन की कमी से मछलियों में यह वायरस फैलता है. इसके अलावा सैप्रोलेगनिया कवक मछली और उसके अंडों को प्रभावित करता है. इससे त्वचा, गलफड़ों, आंखों, या पंखों पर भूरे-सफ़ेद रंग के रूई जैसे उभार हो जाते हैं.

बीमारी से बचाने के लिए जरूर करें ये काम
फिश एक्सपर्ट के मुताबिक मछलियां पानी के तापमान में होने वाले बदलाव को लेकर बहुत ही संवेदनशील होती हैं. ज्यादा उतार-चढ़ाव की वजह से उन्हें बीमारियां होती हैं और उनकी मौत होने लगती है. मछलियों में मृत्युदर के कारण मछली पालन में नुकसान लाजमी है. विशेषज्ञों का कहना है कि मछलियों का बीमारी से बचने के लिए तालाब के पानी की गुणवत्ता बनाए रखना सबसे अहम काम होता है. इसके लिए यह भी जरूरी है कि नियमित रूप से पानी का परीक्षण करते रहना चाहिए. अगर टेंपरेचर मछलियों के सहन करने लायक है तब तो ठीक है. अगर उसके ज्यादा है तो फिर दिक्कत होना शुरू हो जाएगी. वहीं पानी में ऑक्सीजन की भी कमी हो जाती है. मछली के तालाब में समय-समय पर पानी बदलते रहना चाहिए. ताकि उन्हें गर्मी का अहसास होता रहे और ठंड से मछलियों की मौत न हो. वहीं मछलियों को ठंड में बीमारी से बचने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार देना चाहिए. उन्हें ज्यादा आहार देने से बचना चाहिए और सामान्य लक्षणों की पहचान होना बेहद जरूरी है.

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